गोदामों में पड़े हैं सैनिटरी पैड, लड़कियां कपड़ा इस्तेमाल करने मजबूर

Sanitary pads are lying in warehouses, girls are forced to use cloth
गोदामों में पड़े हैं सैनिटरी पैड, लड़कियां कपड़ा इस्तेमाल करने मजबूर
गोदामों में पड़े हैं सैनिटरी पैड, लड़कियां कपड़ा इस्तेमाल करने मजबूर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण स्कूलों की ओर से सैनिटरी पैड का वितरण रोके जाने के कारण इनकी कमी का सामना कर रही एक किशोरी ने कहा-घर में राशन खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, सैनिटरी पैड कहां से खरीदें। पापा ऑटो चलाते हैं। उनका काम बंद हैं। मम्मी होटल में काम करती हैं। होटल बंद होने से पगार भी आधी मिल रही हैं। दो महीने से स्कूल बंद है। स्कूल से हर महीने सैनिटरी पैड मिलते हैं, इसलिए अब पैड की समस्या हो रही है। किससे बात साझा करें, समझ में नहीं आ रहा है।

31000 जेनेरिक पैड गोदाम में
तालाबंदी के दो दिन पहले ही 31000 जेनेरिक पैड गोदाम में रखे हुए हैं। लॉकडाउन हो गया, तो पैड रखे रह गए। हमारे पास किसी भी स्कूल की मुख्याध्यापिका या शिक्षिका का इस संबंध में कोई फोन नहीं आया है। अगर हमारे पास जानकारी आती, तो पैड पहुंचाने की व्यवस्था कर देते। हर महीने सरकारी स्कूलों की माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शालाओं की छात्राओं के लिए स्कूल में पैड दिए जाते हैं। तालाबंदी खत्म होने के बाद छात्राओं को पैड वितरित किया जाएगा। शहर में सरकारी 29 माध्यमिक शालाएं हैं, जिसमें सातवीं से बारहवीं तक की 3200 छात्राएं हैं। इन छात्राओं को हर माह पैड दिया जाता है। तालाबंदी खत्म होने के बाद जैसे ही स्कूल खुलेंगे, पैड का वितरण किया जाएगा।
- प्रीति मिश्रीकोटकर, एजुकेशन ऑफिसर, मनपा 

इंफेक्शन होने का खतरा है
कपड़ा ब्लड सोख नहीं पाता है, जिससे गीला रहता है। कपड़े में ज्यादा देर तक ब्लड रहने से बैक्टीरिया बढ़ते हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा होता है। इंफेक्शन डायरेक्ट ब्लैडर में हो सकता है और फिर ब्लैडर के थ्रू पेट में भी हो सकता हैं। कपड़ा को धूप में सुखाना जरूरी है। धूप में कपड़ा सुखाने से उसके बैक्टीरिया मर जाते हैं। साथ ही दिन में तीन से चार बार कपड़ा चेंज करना जरूरी होता है। अगर एक ही कपड़ा ज्यादा समय तक इस्तेमाल किया गया, तो फंगल इंफेक्शन और खुजली की भी समस्या हो सकती है। -डॉ. सीमा पारवेकर, अधीक्षक, डागा अस्पताल 

बोरियों में भरे पडे़ हैं पैड, मगर बांटने वाला नहीं

केंद्र सरकार की ‘किशोरी शक्ति’ योजना के तहत हर महीने सैनिटरी पैड दिए जाते हैं। लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से इसका वितरण बाधित हो गया है। 31 हजार पैड गोदाम में भरे पडे हैं, मगर लॉकडाउन के कारण उन्हें बांटने वाला कोई नहीं

एक नहीं, कई छात्राओं की है परेशानी
 माहवारी वैश्विक महामारियों के लिए नहीं रुकती है। एक नहीं, कई छात्राओं की ऐसी ही परेशानी भरी कहानियां हैं। इन्हें केंद्र सरकार की ‘किशोरी शक्ति’ योजना के तहत हर महीने सैनिटरी पैड दिए जाते हैं। इन दिनों लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से विभिन्न राज्यों में सैनिटरी पैड का वितरण बाधित हो गया है, जिससे कम आय वर्ग वाले परिवारों से आने वाली ज्यादातर छात्राओं की परेशानियां बढ़ गई हैं। छात्राएं कपड़ा यूज करने पर मजबूर हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

सैनिटरी पैड....कुछ जरूरी बातें 

हाइजिन के पैरामीटर पर खरा उतरना चाहिए। 
ब्रांड वैल्यू पर ट्रस्ट नहीं करें, पीएच लेवल देखें।
चेंज नहीं करने से संक्रमण की आशंका।  
पीरियड्स के दौरान सफाई बेहद जरूरी है। 
ब्लड फ्लो ज्यादा हो तभी टेलरमेड यूज करें

किससे बात करें, समझ से परे
एक छात्रा ने बताया कि पीरियड्स आए, तो मैंने मम्मी को बोला कि पैड की जरूरत है। मम्मी ने कहा कि बेटा पैसा नहीं है, इसलिए अभी कपड़ा यूज कर ले। कपड़ा सुखाने की प्रॉब्लम है। हम बस्ती में रहते हैं। एक कमरे का घर है। मम्मी बंगलों में बर्तन, कपड़े धोना और झाड़ू-पोछा लगाने का काम करती हैं, लेकिन वह भी काम पर नहीं जा रही हैं। पता नहीं स्कूल कब तक बंद रहेंगे। इस समस्या का समाधान कैसे करें, समझ में नहीं आ रहा।

सामने आने से डर लगता है
एक छात्रा की मां ने कहा कि हम गरीब है। इन समस्याओं को लेकर सामने आएं तो हमें कोई परेशानी हो जाए, इसलिए डर लगता है। बच्ची बहुत परेशान है। कपड़े का इस्तेमाल करने से खुजली भी हो रही है।

तीन बहनें हैं, कहां से लाएं पैसे
मुझे कपड़ा इस्तेमाल करना नहीं आता है। दो महीने से स्कूल बंद है। पहली बार कपड़ा इस्तेमाल किया, तो बहुत डर लग रहा था। मेडिकल स्टोर तो खुले हैं, पर हमारे पास इतने पैसे नहीं कि पैड खरीद सकें। काम बंद होने से पापा सब्जी का धंधा कर रहे हैं। थोड़ी बहुत जो कमाई होती है, उससे घर चल रहा है। हम तीन बहनें हैं। तीनों के लिए पैड का खर्च उठाने की परिवार की हैसियत नहीं है।


 

Created On :   28 May 2020 9:59 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story