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संकल्प ने जीता अंतरराष्ट्रीय शतरंज स्पर्धा का स्वर्ण

डिजिटल डेस्क,नागपुर। उपराजधानी के तीसरे अंतरराष्ट्रीय मास्टर संकल्प गुप्ता ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ग्रैंडमास्टर शतरंज प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक पर कब्जा जमा लिया। कई अंतरराष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट में करीबी अंतर से स्वर्ण पदक से वंचित रहने के बाद संकल्प द्वारा जीता हुआ यह पहला पीला तमगा है।
संकल्प इस समय अच्छी लय के साथ खेल रहे हैं। उन्होंने पिछली प्रतियोगिताओं के प्रदर्शन से सबक लेकर ढाका में संभावित 9 में से सात अंक हासिल करते हुए खिताबी जीत के साथ शानदार कामयाबी हासिल की। भारत के ही अंतरराष्ट्रीय मास्टर मित्राभा गुहा और अरोनयक घोष 6.5-6.5 अंक लेकर क्रमश: रजत और कांस्य पदक विजेता बने। 9 दिन तक चली स्पर्धा में 9 अलग-अलग देशों के 62 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें 9 ग्रैंड मास्टर और 14 अंतरराष्ट्रीय मास्टर शामिल थे। संकल्प को स्पर्धा में आठवीं वरीयता मिली थी।
अधिक रेटिंग वाले खिलाड़ियों को दी शिकस्त
स्पर्धा में शानदार आगाज करने वाले 2433 ईएलओ रेटिंग के खिलाड़ी संकल्प ने पूरी श्रृंखला के दौरान अपने से अधिक रेटिंग वाले खिलाड़ियों को चौंकाते हुए उन्हें शिकस्त दी। स्पर्धा के दौरान अपराजित रहे संकल्प ने पांच बाजियों में जीत दर्ज की जबकि चार मुकाबलों में अंक साझा किया। उन्होंने अाधे अंक के अंतर से स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। बांग्लादेश के अहमद शफीक के विरुद्ध पहली बाजी जीतने के बाद संकल्प को अगले दो दौर में अंक गंवाने पड़े। उन्हें कम रेटिंग अंक वाले भारत के सुभायन कुंदानंद ने दूसरे और बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय मास्टर अबू सुफियान शकील ने तीसरे दौर में बराबरी पर रोक दिया। सधी हुई शुरुआत के बाद संकल्प ने आक्रामकता के साथ वापसी की। उन्होंने काले मोहरों से भी अंक हासिल किया। एक 78 चाल की मैराथॉन मुकाबले में संकल्प ने चेक गणराज्य के ग्रैंडमास्टर के. एलेक्सी को शिकस्त दे दी। इसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। अगले दौर की बाजियों में उन्होंने बांग्लादेश के फिडे मास्टर देबराज चैटर्जी, भारत के अंतरराष्ट्रीय मास्टर मित्राभा गुहा और सत्यन दास को परास्त कर बढ़त हासिल कर ली।
नुबैरशाह शेख से करना पड़ा कड़ी चुनौती का सामना
स्पर्धा के आठवें दौर में संकल्प को भारत के अनुभवी अंतरराष्ट्रीय मास्टर नुबैरशाह शेख से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। इस बाजी में एक समय संकल्प की स्थिति काफी कमजोर थी, लेकिन उन्होंने जोरदार रूप से वापसी करते हुए इसे बराबरी पर समाप्त करने में कामयाबी हासिल की। आखिरी दौर में उन्होंने सफेद मोहरों से खेलने का पूरा लाभ उठाया और भारतीय अंतरराष्ट्रीय मास्टर अरोनायक घोष को बराबरी पर रोकते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया।
Created On :   29 Sept 2021 4:16 PM IST