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11 साल बाद करवाचौथ पर राजयोग, सर्वार्थसिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। करवाचाैथ पर इस बार राजयोग बन रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी बन रहे हैं। पं. गिरधारीलाल पालीवाल के अनुसार इन 3 बड़े शुभ योगों के कारण व्रत और पूजा के लिए दिन और खास हो जाएगा। ग्रहों का ऐसा संयोग 11 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 29 अक्टूबर 2007 को ऐसा हुआ था, जब बृहस्पति और चंद्रमा का दृष्टि संबंध होने से गजकेसरी नाम का राजयोग बना था। उस दिन सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी बन रहे थे। इन शुभ योगों में की गई पूजा और व्रत का फल ज्यादा मिलता है। करवाचौथ का व्रत तृतीया के साथ चतुर्थी उदय हो, उस दिन करना शुभ है। तृतीया तिथि ‘जया तिथि’ है। इससे पति को अपने कार्यों में सर्वत्र विजय प्राप्त होती है। जो इस वर्ष 27 अक्टूबर 2018 को पड़ रहा है। सुहागन महिलाओं के लिए चौथ महत्वपूर्ण है।
करवाचौथ पर क्या करें
सुबह जल्दी उठकर घर में सफाई करें और घर के बाहर रंगोली बनाएं। पूरे घर में गौमूत्र का छिड़काव करें।फिर गंगाजल और ताजा दूध मिलाकर पूरे घर में छिड़कें।इसके बाद पति को प्रणाम करें।मंदिर में चौथ माता के साथ श्रीगणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें।शाम को भगवान गणेश की पूजा करें और उनकाे लडडूओं का भोग लगाएं।इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और फिर करवा चौथ माता की पूजा करें।करवे (मिट्टी का बर्तन) में पानी और चांदी का सिक्का रखें। करवे को मिट्टी के दीपक से ढंक कर उस पर चीनी रखें। फिर उस ढक्कन को लाल कपड़े से बांध दें।नैवेद्य के 13 करवे या लड्डू के साथ 1 लोटा, 1 वस्त्र और 1 विशेष करवा पति की माता को दें।
कब खोलें व्रत
वैसे तो चंद्रोदय यानी चांद के दिखने का समय रात्रि 7 बजकर 55 मिनट है। लेकिन चांद को अर्घ्य दिए बना व्रत नहीं खोला जाता है। चांद को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलें।
करवा चौथ की पूजा विधि
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार में माथे पर लंबी सिंदूर अवश्य हो क्योंकि यह पति की लंबी उम्र का प्रतीक है। मंगलसूत्र, मांग टीका, बिंदिया ,काजल, नथनी, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद और गजरा ये 16 श्रृंगार में आते हैं।

Created On :   25 Oct 2018 12:08 PM IST