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देश में जैव विविधता क्षेत्र का सर्वोच्च पुरस्कार सतना के नाम

- इनमें कुछ एक दूसरे के पूरक हैं तो कुछ नियंत्रक भी। यह सभी जंतु प्राकृतिक ढंग से रह पाए यही जैव विविधता संरक्षण है।
- जैव विविधता के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा पुरस्कार इंडिया बायोडायवर्सिटी अवार्ड-2018 सतना को मिला।
- बैक्टीरिया से लेकर हाथी तक या उड़ने वाले पक्षी
- जलीय जीव-जंतु और पेड़-पौधे
- वनस्पतियां यानी जितने भी जीवधारी हैं वह सभी बायोडायवर्सिटी के घटक हैं।
- यह अवार्ड उचेहरा विकासखण्ड के
डिजिटल डेस्क सतना। जैव विविधता के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा पुरस्कार इंडिया बायोडायवर्सिटी अवार्ड-2018 सतना को मिला। यह अवार्ड उचेहरा विकासखण्ड के पिथौराबाद जैव विविधता प्रबंधन समिति को उसके 125 से अधिक परम्परागत धान की किस्में, एक दर्जन से अधिक देसी गेहूं एवं अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों, पेड़-पौधों, वनस्पतियों और सब्जियों की प्रजातियों के संरक्षण संवर्धन के लिए दिया गया।
ऐसे समझें बायोडायवर्सिटी को
बैक्टीरिया से लेकर हाथी तक या उड़ने वाले पक्षी, जलीय जीव-जंतु और पेड़-पौधे, वनस्पतियां यानी जितने भी जीवधारी हैं वह सभी बायोडायवर्सिटी के घटक हैं। इनमें कुछ एक दूसरे के पूरक हैं तो कुछ नियंत्रक भी। यह सभी जंतु प्राकृतिक ढंग से रह पाए यही जैव विविधता संरक्षण है। यह एक-दूसरे से इस प्रकार जुड़े हैं कि यदि इनमें एक कड़ी भी अलग हुई तो प्रकृति का संतुलन प्रभावित होता है।
बाबूलाल दाहिया को मिला सम्मान
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर हैदराबाद के प्रो. जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एक समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देश भर के तमाम कृषि वैज्ञानिकों समेत प्रगतिशील किसानों का जमघट लगा। जैव विविधता प्रबंधन समिति पिथौराबाद की ओर से जिला अध्यक्ष बाबूलाल दाहिया ने शिरकत की। बघेली बोली के जाने-माने साहित्यकार दाहिया लम्बे अरसे से देसी बीजों के संग्रहण और संवर्धन-संरक्षण में जुटे हुए हैं। उन्होंने गांव में अपनी दस एकड़ की जमीन में से दो एकड़ का खेत देसी धान की प्रजातियों के प्रयोग के लिए रखा हुआ है और वे अब तक सवा सौ धान की प्रजातियां चिन्हित कर उनके संवर्धन की दिशा में काम कर चुके हैं।
Created On :   23 May 2018 1:37 PM IST