मेहनतकशी की मिसाल देता रहा है सतरंजीपुरा,आज कोरोना संकट से घिरा

Satranjipura has been giving example of working people, today Corona is surrounded by crisis
मेहनतकशी की मिसाल देता रहा है सतरंजीपुरा,आज कोरोना संकट से घिरा
मेहनतकशी की मिसाल देता रहा है सतरंजीपुरा,आज कोरोना संकट से घिरा

डिजिटल डेस्क,नागपुर । सबसे पुरानी बस्तियों में शामिल सतरंजीपुरा का अपना अलग मिजाज रहा है। प्रमुख बाजार क्षेत्रों में काम करनेवाले मेहनतकशों की आश्रय स्थली है। इतवारी रेलवे स्टेशन ने बस्ती की हलचल को सदैव तेज रखा। हावड़ा या कोलकाता मार्ग से जरुरी वस्तुओं की ढुलाई कल भी चलती थी आज भी चलती है। कहते हैं,मेहनतकशों की न जाति होती है न ही कोई धर्म। कर्म ही सबसे लिए पूजा है। इस बस्ती पर अब भी विविध धर्म आस्था से जुड़े लोगों की कमी नहीं है। लेकिन कोराना संकट ने बस्ती को सहमा सा दिया है। बस्ती की एक गली में संदेह की लकीर खींची गई। संकट से उबरने की पूर्व तैयारी के नियमों का कड़ाई से पालन हो रहा है। इक्का दुक्का की घर में ही निगरानी हो रही है। बाकी को अलग किया गया। तालाबंदी व पुलिस की पहरेदारी के बीच यही कामना की जा रही है कि संकट की आशंका जल्द दूर हो जाए। बस्ती की बुलंदी बयां करते हुए 70 वर्षीय रफीकभाई कहते हैं-यह बस्ती सेहत पर अधिक ध्यान देने वाली रही है। अखाड़े और पहलवान यहां की पहचान का हिस्सा रहा है।

रहमान पहलवाल, जुड़ा पटेल,निजामियां जैसे नाम पहलवानी में चर्चित थे। गोंडराजा बख्त बुलंद शाह व भोंसले राज परिवार ने भी इस बस्ती के विकास में सहयोग दिया। इतवारी में भले ही टांगा स्टैंड रहा है लेकिन सतरंजीपुरा में टांगा चलानेवालों की संख्या अधिक रही है। रफीक भाई की बात को आगे बढ़ाते हुए श्रमिक नेता साहिल सैयद कहते हैं-पुराने नागपुर का प्रमुख बाजार पेठ रहा है यह क्षेत्र भंडारा व उमरेड मार्ग की ओर जानेवाले वाहनाें के अलावा बसों का अड्डा भी इसी परिसर में रहा है। यहां दुल्लूसेठ की गाड़ी काफी चर्चित रही है। कार जैसी गाड़ियों को कोयले की आग से चलाते हुए यहां देखा जाता रहा है। अलग अलग व्यवसाय से जुड़े मेहनतकशों के लिहाज से यहां के मोहल्लों के नाम पड़े। किराड, तेली, कुनबी, बौद्ध समुदाय के मोहल्ले भी यहां है। यहां के व्यवसायी शहर के फल बाजार पर भी सबसे अधिक प्रभाव रखते रहे हैं।

लिहाजा आज भी ये फल कारोबारियों के बड़े कुनबे हैं। सैयद कहते हैं-मेहनतकशों ने भरपूर तरक्की की। लकड़ा , मिर्ची,फल के अलावा इलेक्ट्रानिक सामग्री के कारोबार में इनका बड़ा नाम है। पद्मश्री अब्दुल करीम पारेख के परिवार का जिक्र करते हुए सैयद कहते हैं कि यहां के नागरिकों ने बड़े कारोबार ही नहीं समाज सेवा के क्षेत्र में भी आदर्श स्थान पाया है। बस्ती के सांस्कृतिक मिजाज पर शकील पटेल बताते हैं-सतरंजीपुरा में भारत बसता है। यहां सभी समुदाय के मेहनतकश मिलकर गणेशोत्सव मनाते रहे हैं। गुप्तेश्वर क्रीड़ा मंडल में गैर हिंदू समिति सदस्य रहे हैं। मोहर्रम के समय दुल्हन सवारी का विशेष उत्सव रहा है। मोहल्ले में एक स्थान पर सभी समुदाय के लोग एकत्र होते और आग पर चलने का साहस देखते थे। सुभाष पुतला के पास गणेशोत्सव में गैरहिंदू बड़ी संख्या में शामिल रहते थे।

 पटेल कहते हैं-कुछ वर्षों में उत्सवों को लेकर बदलाव आया है। उत्सव समितियों में समाज परिवार तक देखा जाने लगा है। बड़ी मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष नावेदभाई कहते हैं- संकट में सभी साथ होना चाहिए। नियमों का पालन जरुरी है। प्रशासन की ओर से एहतियात के तौर पर सबकी जांच करायी जा रही है। किसी तरह की अफवाह नहीं फैलने देने की जिम्मेदारी सभी की है। प्रशासन भी ध्यान रखें कि किसी को अनावश्यक परेशानी न हो। विलगीकरण केंद्र से नागरिकों को वापस लाने का भी दौर शुरु हो गया है। गुरुवार को ही 25 नागरिक लौटे। उन नागरिकों के अलावा घर पर ही निगरानी में रखें गए बुजुर्गों, दिव्यांगों की सुविधा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। फायनांस सेक्टर से जुड़े मोहम्मद साजिद सतरंजीपुरा को फुल आफ इनर्जी कहते हैं। वे बताते हैं इस बस्ती में हर स्कील से जुड़े लाेग हैं। सब मिलकर संकट का मजबूती से सामना करेंगे।
 

Created On :   30 April 2020 2:53 PM GMT

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