सरकार की गाइडलाइन आने के बाद भी कम नहीं हुआ बस्ते का बोझ

School Children still fight with heavy school bag
सरकार की गाइडलाइन आने के बाद भी कम नहीं हुआ बस्ते का बोझ
सरकार की गाइडलाइन आने के बाद भी कम नहीं हुआ बस्ते का बोझ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम होने के बजाय लगातार बढ़ता ही जा रहा है।  बस्ते के वजन से उनकी रीढ़ की हड्‌डी में भी प्रॉब्लम आ रही है। प्राइवेट स्कूलों द्वारा नियमों का पालन नहीं करने से इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। बच्चों के बस्ते के बढ़ते बोझ को लेकर शहर के पैरेन्ट्स से चर्चा की गई। उनका कहना था कि ऑनलाइन स्टडी ही इसका उपाय है। यूकेजी से लेकर हायर सेकंडरी तक की कक्षाओं के बच्चे भारी बस्ता उठाने के लिए मजबूर हैं। छोटे-छोटे बच्चों के बड़े-बड़े भारी बस्तों ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। नियम तो कई आते हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता है।

महसूस की बच्चे की तकलीफ
मेरी बेटी चौथी क्लास में है। जब वह बस से उतरती है, तो बस से घर तक की 200 मीटर की दूरी तय करने में उसकी हालत खराब हो जाती है। इतने छोटे बच्चों को इतना भारी बैग अलाऊ नहीं होना चाहिए। अभी तक इस विषय में कई बार नियम आए हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन नियमों का पालन नहीं करते हैं। लगातार बच्चों के स्कूल बैग का वजन बढ़ता ही जा रहा है।  इससे बच्चे को रीढ़ की हड्‌डी में प्रॉब्लम हो सकती है। इसको लेकर सभी पैरेन्ट्स ने शिकायत भी की है, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं होती है।
- रीमा जोशी, पैरेन्ट्स

सरकारी स्कूल के बच्चों के बस्ते का बोझ कम
प्राइवेट स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल बैग का बोझ कम होता है। मेरा बेटा सरकारी स्कूल में पढ़ता है, जब मैं पड़ोस में रहने वाले बच्चे का स्कूल बैग देखती हूं, तो आश्चर्य होता है, जबकि दोनों 5वीं क्लास में ही हैं। सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक कक्षाओं में भाषा, गणित के अतिरिक्त एक या दो पुस्तकें हैं।
- नीता ठाकुर, अभिभावक

रहना चाहिए अलर्ट
स्कूल प्रबंधन बच्चों को पीरियड वाइज कॉपी, किताबें लाने के लिए बोलते हैं, लेकिन बच्चे फिर भी सारे सब्जेक्ट्स की बुक और कॉपी लाते हैं, इसके लिए पैरेन्ट्स को भी अलर्ट रहने की जरूरत है। उन्हे डेली बच्चों की डायरी चेक करनी चाहिए, जिससे स्कूल में चल रही एक्टिविटीज की जानकारी मिल सके। ऑनलाइन स्टडी की बात संभव नहीं है, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि गुरु के बिना पढ़ाई संभव नहीं है। साथ ही हर बच्चा कंप्यूटर सिस्टम अफाेर्ड कर पाए यह भी संभव नहीं है। 
- राजासाहब टाकसाले, जिला अध्यक्ष, इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन 

Created On :   29 Nov 2018 3:47 PM IST

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