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जंगल के रास्ते हिंसक जानवरों से बचने ग्रुप बनाकर जाते हैं स्कूल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना महामारी के चलते मार्च महीने में लॉकडाउन हुआ था। अनलॉक के दौरान 14 दिसंबर से कक्षा 9 से 12 वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खुल गए हैं। हिंगना तहसील के अडेगांव जैसे दुर्लभ जंगली क्षेत्र के विद्यार्थियों के सामने भारी समस्या है। आवागमन का साधन नहीं होने के कारण उन्हें जंगल के रास्ते जंगली जानवरों के बीच से कोसों दूर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ रहा है। सुरक्षा के लिए ये समूह में ही निकलते हैं। इनमें छात्राएं भी शामिल होती हैं। स्थानीय निवासी इनके जज्बे को सलाम करते हैं।
रास्ते पर नजर आते हैं हिंसक जानवर
हिंगना तहसील के अडेगांव में साईंनाथ हाईस्कूल है। यहां आस-पास के गांवों के बच्चे पैदल पढ़ने आते हैं। कोई-कोई बच्चा तो 5 किलोमीटर का फासला तय कर स्कूल पहुंचता है। पूरा क्षेत्र जंगली है और बोर अभयारण्य से सटा हुआ है। बाघ, बिबट, अस्वल, रान डुक्कर, सांभर, रोही आदि कई जंगली जानवर अक्सर नजर आते हैं। कभी-कभी तो बीच रास्ते में ही नजर आते हैं।
40 से अधिक विद्यार्थी आते हैं दूर से
अडेगांव में ढोले मोहगांव, गोठनगांव से रोजाना 40 से अधिक विद्यार्थी जंगली रास्ते से पैदल आते हैं। पहले यहां एसटी महामंडल की बस सुबह शाम स्कूल के वक्त चलती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद से यह बस सेवा भी बंद है। विद्यार्थियों ने तत्काल बस सेवा शुरू करने की मांग की है।
डर तो लगता है
स्कूल आते-जाते वक्त जब जंगल के रास्ते से गुजरते हैं, तो काफी डर लगता है। लेकिन क्या करें। पढ़ाई तो करना है न, इसलिए ग्रुप बनाकर चलते हैं। स्नेहल फरकड़े, छात्रा, मु. ढोले मोहगांव
मजबूरी है
हमारे गांव के स्कूल में 5वीं कक्षा तक ही पढ़ाई होती है। आगे की पढ़ाई करने के लिए अडेगांव की स्कूल में जाना पड़ता है। लॉकडाउन के बाद से बस सेवा बंद है। 14 दिसंबर से स्कूल खुलने के बाद मजबूरन पैदल जाना पड़ रहा है। पायल वाघाडे, छात्रा, मु. ढोले मोहगांव
दूसरा रास्ता नहीं है
पढ़ाई करना है तो जंगल भरे रास्ते से जाना ही पड़ेगा। एसटी महामंडल की बस पहले की तरह सुबह-शाम स्कूल के वक्त शुरू की गई, तो बहुत अच्छा होगा।{पूजा लांडे, छात्रा, मु. ढोले मोहगांव
Created On :   30 Dec 2020 2:30 PM IST