निधि के फेर में अटकी सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था

Security of Nagpur Central Prison in danger zone due to govt fund
निधि के फेर में अटकी सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था
निधि के फेर में अटकी सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था

नीरज दुबे,  नागपुर। उपराजधानी नागपुर की सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था निधि के फेर में अटकी है।जेल में कई खतरनाक कैदियों को रखा जाता है। अरुण गवली अभी भी इसी जेल में हैं। तीन वर्ष पूर्व दिशा की दीवार फांदकर 5 खतरनाक कैदी फरार हो गए थे। उसके बाद जेल प्रशासन ने पूरे इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम का दावा किया था लेकिन इस दावे की कलई जेल का पिछला हिस्सा अब भी खोल रहा है।   6 फीट ऊंची इस जर्जर दीवार को क्रॉस कर दूसरी और मुख्य दीवार तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और जेल ब्रेक की घटना को अंजाम दिया जा सकता है। इस संदर्भ में 36 करोड़ की निधि मुहैया कराने के लिए राज्य के गृह मंत्रालय ने कोई पहल अब तक नहीं की गई है।

कई बार सुर्खियों में रही जेल की व्यवस्था
ज्ञात रहे कि भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी आतंकियों और पंजाब की नाभा जेल से खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के सरगना हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटू समेत 6 खूंखार अपराधियों के भाग निकलने के मामले सुर्खियों में रहे थे। बिहार में नक्सलियों ने जेल ब्रेक किया था। तीन साल पहले उपराजधानी नागपुर में जेल ब्रेक की घटना हुई थी। इस दौरान 5 कैदी दीवार फांदकर फरार हो गए थे। इसके बाद जेल की सुरक्षा को और मजबूत बनाने की बात चली। विदेशी एजेंसी से भी सलाह ली गई। इजराइली जेल के अधिकारियों की सलाह पर जेल की बाहरी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रस्ताव बनाया गया था, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। करीब 36 करोड़ की निधि को मुहैया कराने के लिए राज्य के गृह मंत्रालय ने कोई पहल नहीं की है। नतीजा लोक निर्माण विभाग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं मिली है। इस संबंध में कारागृह महानिदेशक योगेश देसाई और लोकनिर्माण विभाग के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है। निधि के अभाव को देखते हुए अब सुरक्षा दीवार बनाने के बजाय वहां कंटीले तार लगाने के निर्देश कारागृह प्रशासन ने दिए हैं। 

अरुण गवली भी हैं इसी जेल में
जेल की संवेदनशीलता को देखते हुए जेल की सुरक्षा मजबूत करने की जरूरत है। इस जेल में कई खूंखार कैदियों को भी रखा गया है। इनके अलावा माफिया डॉन से नेता बने अरुण गवली को भी इस जेल में रखा गया है। इससे ही इस जेल की संवेदनशीलता को समझा जा सकता है। इसके मद्देनजर जेल प्रशासन ने जेल की सुरक्षा को व्यवस्था को मजबूत बनाने का फैसला किया और इसके लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को जिम्मेदारी सौंपी। पीडब्ल्यूडी ने स्थितियों को देखते हुए इस संबंध में एक प्रस्ताव बनाया था। इसके तहत हाइटेक दीवार के अलावा चार सुरक्षा टॉवर बनाए जाने थे। इस पर 36.40 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना थी। पीडब्ल्यूडी ने इस प्रस्ताव को जेल प्रशासन को सौंप दिया था जिसके बाद जेल प्रशासन ने इसे मंजूरी के लिए राज्य के गृह मंत्रालय के पास भेजा था।

Created On :   12 Feb 2018 4:02 PM IST

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