नागपुर में गंभीर मरीजों को भी नहीं मिल रहा बेड

Serious patients are not getting beds in Nagpur
नागपुर में गंभीर मरीजों को भी नहीं मिल रहा बेड
नागपुर में गंभीर मरीजों को भी नहीं मिल रहा बेड

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में रोजाना 5 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मिलने से प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं। शासन-प्रशासन के पर्याप्त व्यवस्था के दावों की पोल खुल गई है। गंभीर मरीजों को भी अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। निजी अस्पताल सीजीएचएस पेशंेट बताने पर बेड देने से मना कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची है। कब बेड मिलेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। मनपा नियंत्रण कक्ष अस्पतालों में रिक्त बेड की सही जानकारी नहीं दे पा रहा है। संबंधित परिवार बेड ढूंढ़ते-ढूंढ़ते थक जा रहा है। 

मेडिकल में 18 लोग प्रतीक्षा में
ताजा मामला मनपा के इमामवाड़ा आयसोलेशन अस्पताल का है। अस्पताल में एक महिला का ऑक्सीजन स्तर लगातार कम ज्यादा होते जा रहा है। अस्पताल के स्टाफ ने परिवार के सदस्यों को बुलाकर उन्हें किसी और अस्पताल में स्थानांतरित करने को कहा, जिसके बाद महिला को अन्य अस्पतालों में ले जाने की भागदौड़ शुरू हुई। मेडिकल में पूछताछ की गई, तो पता चला कि यहां पहले से ही 18 लोग प्रतीक्षा में हैं। 

कहीं से नहीं मिली मदद
जब मनपा नियंत्रण कक्ष के अधिकारी से जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने बेड उपलब्ध नहीं होने की बात कह कर फोन बंद कर दिया। आखिर तक महिला को कोई बेड नहीं मिल पाया। पांचपावली स्थित एक विवाहिता के साथ भी यही घटना हुई। महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव है। अचानक रविवार को ऑक्सीजन लेवल कम होने से उसे अस्पताल में ले जाने की कोशिश हुई। रिश्तेदारों ने अस्पताल ढूंढ़ना शुरू किया, लेकिन शाम तक किसी अस्पताल में बेड नहीं मिला। रात में कामठी रोड स्थित एक निजी अस्पताल में जगह मिली। उसने भी पहले एडवांस जमा करने की शर्त पर उन्हें भर्ती किया। इस पूरे  मामले में न तो प्रशासन से और न अस्पताल से ही कोई मदद मिल पाई। 

यहां भी नहीं हैं बेड 
मेयो में भी यही स्थिति है। कहा गया कि बेड नहीं है, लेकिन कैज्युएल्टी में लेकर आएं। वहां देखने के बाद व्यवस्था करेंगे। एम्स अस्पताल में ऑक्सीजन बेड उपलब्ध नहीं होने की जानकारी देकर मरीज को लेने से मना कर दिया गया। कुछ निजी अस्पतालों में भी संपर्क किया गया। महिला सीजीएचएस (सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) की लाभार्थी है। सीजीएचएस के पैनल में शहर के अनेक निजी अस्पताल हैं। उसमें कुणाल अस्पताल भी है। जानकारी मिली की कुणाल में कुछ बेड खाली हैं, लेकिन सीजीएचएच के नाम पर लेने से मना कर दिया। अन्य निजी अस्पतालों ने भी हाथ झटक लिए। 

लाखों खर्च, फिर भी आराम नहीं
शांतिनगर के एक व्यक्ति को पिछले दिनों कोरोना होने के बाद निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। दवा पर 2 से 3 लाख रुपए खर्च हो गए, फिर भी आराम नहीं मिला। आखिरकार वह निजी अस्पताल से डिस्चार्ज लेकर सामाजिक कार्यकर्ता इरशाद अली के जरिए शनिवार की रात मेयो अस्पताल पहुंचा। सुबह 6 बजे तक एंबुलेंस में ही ऑक्जीसन लगाकर रहा। एंबुलेंस वाले ने भी प्रति घंटा 500 रुपए वसूल लिए। सुबह 5 बजे कैज्युलटी में भर्ती एक महिला की मौत होने के बाद उसे वहां जगह मिली और ऑक्सीजन लगाया गया।   

111 ऑक्सीजन और 4 आईसीयू बेड खाली 
मनपा द्वारा अस्पतालों में बेड की स्थिति को लेकर शाम को जानकारी जारी की गई, जिसमें शहर में सिर्फ 4 आईसीयू बेड और 111 ऑक्सीजन बेड उपलब्ध होने की जानकारी दी गई। निजी अस्पतालों में 2 आईसीयू और 21 अॉक्सीजन बेड, सरकारी व मनपा अस्पतालों में 2 आईसीयू और 45 ऑक्सीजन बेड, कोविड केयर सेंटर में 44 ऑक्सीजन बेड होने की जानकारी दी गई, लेकिन नियंत्रण कक्ष और अस्पताल ऑक्सीजन बेड ही नहीं होने का राग अलापते रहे।


 

Created On :   12 April 2021 9:57 AM GMT

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