- Home
- /
- महापुरुषों के नाम से बस्तियों और...
महापुरुषों के नाम से बस्तियों और रास्तों की होगी पहचान, जातिसूचक नाम हटाए जाएंगे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सामाजिक न्याय विभाग ने जातिसूचक बस्तियों व रास्तों के नाम हटाने का निर्णय लिया है। विभाग का मानना है कि जातिसूचक नामों से सामाजिक भेदभाव निर्माण होता है। अनेक शहराें व ग्रामीण क्षेत्रों में गांवों, रास्ता व बस्तियों के नाम जातिसूचक देखे जाते हैं। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने जाति व्यवस्था नष्ट करने का प्रयास अपने कार्यों से किया था। जातिसूचक नाम हटाकर इन्हें नए नाम दिए जाएंगे। महापुरुषांे व लोकशाही मूल्यांे से जुड़े नाम देने का निर्णय 02 दिसंबर 2020 को मंत्रिमंडल ने लिया था। शासन निर्णय 11 दिसंबर 2020 को जारी हुआ था। शहर में नगर विकास विभाग व ग्रामीण क्षेत्र के लिए ग्राम विकास विभाग जातिसूचक नाम बदलने की प्रक्रिया कर रहा है।
स्थानीय प्राधिकरण को नया नाम देने का अधिकार
गांवाें में बाड़ा-बस्ती को जाति के नाम से जोड़ दिया जाता था आैर यही नाम प्रचलित होता था। अब ऐसा नहीं होगा। सरकार के इस निर्णय से सामाजिक सौहार्द्र का निर्माण होगा। सामाजिक न्याय विभाग के आयुक्त डॉ. प्रशांत नारनवरे ने इस संबंध में अर्धशासकीय पत्र विभागीय आयुक्त प्राजक्ता वर्मा को लिखा था। विभागीय आयुक्त प्राजक्ता वर्मा की अध्यक्षता में बैठक भी हुई। 15 अगस्त तक जातिसूचक बस्तियों व रास्तों के नाम बदलने हैं। जातिसूचक नाम हटाकर नया नाम देने का अधिकार स्थानीय प्राधिकरण को दिए गए हैं।
Created On :   28 July 2021 10:07 AM IST