रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी, मरीज हो रहे परेशान

Severe shortage of Remedicivir injection, patients are getting worried
रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी, मरीज हो रहे परेशान
रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी, मरीज हो रहे परेशान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में बढ़ते संक्रमण से स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है। पहले तो मरीजों को बेड नहीं मिल रहा था। अब बेड मिल भी जाए, तो दवाई नहीं मिल रही है। इसमें कई लोगों की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि मरने तक की नौबत आ गई है। जिले में इतनी भयावह स्थिति हो गई है कि मरीज के परिजन लाचार दिखाई दे रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति लड़-झगड़ कर या कोई बड़े संपर्क सूत्र लगाकर मरीज के इलाज के लिए बेड की व्यवस्था कर ले रहा है, तो बेड की व्यवस्था होने के बाद इलाज के लिए डॉक्टर रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग करते हैं। इसके लिए परिजन अपने मरीज की जान बचाने के लिए पूरे शहर में इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल रहे। यहां तक की मंत्री नितीन गडकरी की ओर से जारी जयंत दीक्षित के फोन नंबर 9921024700 पर भी संपर्क करने पर फोन बंद मिल रहा है।

कलमना निवासी मुरलीधर महादुले (53) क्राइम ब्रांच में हैं। 10 अप्रैल को इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। सांस लेने में तकलीफ होने पर शनिवार को तारांगण अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत पड़ी। दो दिन से वे इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं। एफडीए आयुक्त और जिलाधिकारी से बात की, फिर केंद्रीय मंत्री गडकरी की ओर से जारी मोबाइल नंबर 7620553891 पर भी बात की, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिला। अंत में जान बचाने के लिए प्लाज्मा की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। 

भगवान नगर निवासी 30 वर्षीय रितेश को शनिवार को सेनगुप्त अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसे सांस लेने में तकलीफ हुई। जिसको देखते हुए उसे रेमडेसिविर की जरूरत पड़ी। शनिवार से परिजन इलाज के लिए इंजेक्शन ढूंढते रहे। मरीज की हालत धीरे-धीरे बिगड़ती गई। परिवार वाले एक इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकते रहे। लेकिन रविवार शाम 10 बजे तक उसे इंजेक्शन नहीं मिला। रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए शहर के हर  स्टॉकिस्ट की दुकान पर गए लेकिन किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिल पाई।

नगर सेविका आभा पांडे का कहना है कि पूरे शहर में लोगों की हालत खराब है। लोग अपने मरीज के लिए रो रहे हैं। बेड और दवाई दोनों की परेशानी है। यह मेरे साथ ही हुआ है। मेरे परिचित मदन गिरडकर ओजस अस्पताल में भर्ती हैं। उनके लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन नहीं मिला। अंत में कलेक्टर के कंट्रोल रूम में बात करने वालों पर चिल्लाना पड़ा। ड्रग इंस्पेक्टर से 4-5 बार बात करने पर कहा गया कि इंजेक्शन शनिवार रात को ही अस्पताल में पहुंचा दिया गया। अस्पताल में बात की तो अस्पताल वाले परिजनों को ही इंजेक्शन लाने के लिए बोल रहे हैं। मैंने ओजस अस्पताल के केमिस्ट से बात की, ताे उसने मुझे साफ मना कर दिया। जब मैंने कहा कि आपके पास कल रात को ही इंजेक्शन आए हैं। ड्रग इंस्पेक्टर ने अभी फोन पर बताया है, फिर भी इंजेक्शन मरीज काे नहीं दे रहे, तब उसने कहा कि हां मेरे पास इंजेक्शन है।

Created On :   12 April 2021 6:35 AM GMT

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