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कब दशहरा गया कब दिवाली आई , बिस्तर पर ही रहे सिकलसेल पीड़ित बहन-भाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर । हर मां-बाप चाहते हैं कि बड़ा होकर उनका बच्चा नाम रोशन करे, लेकिन हर किसी के सपने पूरे नहीं होते तो मन मसोस कर रह जाते हैं कुछ लोग। उमरेड स्थित धुरखेड़ा निवासी शांतनु गायकवाड़ (9) को लेकर भी कुछ ख्वाहिशें थीं, मगर ढाई साल की उम्र में ही सिकलसेल बीमारी ने जकड़ लिया। सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार के बाद परिजन जब पास के निजी अस्पताल में पहुंचे तो शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) भेज दिया गया। शांतनु की बहन जाहन्वी गायकवाड (12) को भी सिकलसेल है। बीमार बच्चों के कारण मां ने बच्चों के साथ इस साल की दीपावली और दशहरा मेडिकल में ही मनाया। बच्चों को तो कब दशहरा बीता और कब दिवाली आई जैसे पता ही नहीं चला। बच्चों की पीड़ा देख किसी का भी हृदय पसीज सकता है।
पैसे नहीं रहते, पर क्या करें
बताया जाता है कि बीमार बच्चों को पहले डॉक्टर सिर्फ रक्त लगाकर 2 दिन में वापस भेज देते थे। इस बार जब तबीयत बिगड़ी तो डॉक्टर ने सारी जांचें की और 15 दिन तक भर्ती रखा है। डॉक्टर उपचार तो कर देते हैं, लेकिन दवाएं हमें बाहर से ही खरीदनी पड़ती हैं। हमारे पास पैसे नहीं होते हैं, लेकिन कुछ कर भी तो नहीं सकते। परिवार में कितनी भी परेशानी हो दवा तो लेनी ही पड़ती है।
मजदूरी करते हैं बच्चों के पिता
बच्चों के पिता संदीप गायकवाड़ मजदूरी करते हैं। शांतनु पिछले करीब 15 दिन से मेडिकल में भर्ती है। उसे 3 यूनिट रक्त लगाया जा चुका है। मेडिकल में जब रक्त नहीं मिलता है तो बाजार से खरीदना पड़ता है। करीब डेढ़ माह पहले शांतनु को मेडिकल में भर्ती किया गया था। जिस दिन छुट्टी लेकर घर पहुंचे, ठीक उसके दूसरे दिन बेटी जाह्नवी की तबीयत खराब हो गई। उसे भी मेडिकल लेकर आए। जब उसकी छुट्टी हुई तो कुछ दिन बाद बेटे शांतनु की तबीयत खराब हो गई और पिछले करीब 15 दिन से वह अस्पताल में भर्ती है।
Created On :   14 Nov 2018 12:15 PM IST