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कुंआरी थी इसलिए अस्पताल ने गर्भपात करने से किया मना

डिजिटल डेस्क , मुंबई। अविवाहित होने के चलते अस्पताल की ओर से गर्भपात करने से इनकार किए जाने के बाद 24 साल की एक कामकाजी अविवाहित महिला ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में महिला ने 21 सप्ताह के भ्रूण गर्भपात की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया है। याचिका में महिला ने दावा किया है कि वह एक कामकाजी महिला है और सहमति से बने संबंधो के चलते गर्भवती हुई है। याचिका के अनुसार मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी अधिनियम 2021 के प्रावधानों के तहत 24 सप्ताह तक के भ्रूण की के गर्भपात की इजाजत है। इसके अलावा इस अधिनियम की धारा 3(2) में साल 2021 में किए गए संसोधन के बाद वह गर्भपात की अनुमति पाने का हक रखती है।
गर्भनिरोधक उपकरण की विफलता के चलते हुई गर्भवती
महिला ने याचिका में कहा है कि वह सहमति से बने संबंध व गर्भनिरोधक उपकरण की विफलता के चलते गर्भवती हुई है। अधिवक्ता अदिती सक्सेना व अधिवक्ता क्रांति एलसी के माध्यम से दायक की गई याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों अपने एक फैसले में साफ किया है कि एक महिला का अपने शरीर पर पूरा अधिकार है। ऐसे में याचिकाकर्ता(महिला) के भ्रूण का गर्भपात करने से इनकार किया जाना उसे संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के तहत मिले उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिका में महिला ने कहा है कि पिछले दिनों जब उसने डाक्टर से संपर्क किया तो उसे अपने गर्भवति होने की जानकारी मिली। इसके बाद उसने मुंबई के वाडिया अस्पताल में गर्भपात के लिए संपर्क किया। महिला ने अस्पताल को बताया कि यह उसका अनचाहा गर्भ है। ऐसे में यदि उसे बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाएगा तो इसके चलते उसे मानसिक पीड़ा का समाना करना पड़ेगा। समाजिक स्तर पर भी उसे परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसलिए उसके भ्रूण का गर्भपात कर दिया जाए। किंतु वह अविवाहित है इसलिए अस्पताल ने उसके भ्रूण का गर्भपात करने से मना कर दिया। न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति एमएम साठे की खंडपीठ ने 20 जनवरी 2023 को इस याचिका पर सुनवाई रखी है। क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील याचिका में कानून को लेकर उपस्थित किए गए विभिन्न सवालों को लेकर अपनी बात रखना चाहते हैं।
Created On :   24 Dec 2022 7:26 PM IST