थेटे दंपति के बैंक लोन मामले में समझौता कराने पर तत्कालीन चेयरमैन शेखावत पर चलेगा मुकदमा

Shekhawat will face prosecution in the case of bank loan case of thete couple
 थेटे दंपति के बैंक लोन मामले में समझौता कराने पर तत्कालीन चेयरमैन शेखावत पर चलेगा मुकदमा
 थेटे दंपति के बैंक लोन मामले में समझौता कराने पर तत्कालीन चेयरमैन शेखावत पर चलेगा मुकदमा

डिजिटल डेस्क जबलपुर। आईएएस रमेश थेटे व उनकी पत्नी मंदा थेटे द्वारा लिए गए लोन के मामले में समझौता कराकर आरोपित तौर पर धोखाधड़ी करने वाले अपैक्स बैंक के तत्कालीन चेयरमैन भंवर सिंह शेखावत की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। शेखावत ने रजिस्ट्रार द्वारा दी गई अभियोजन की अनुमति को चुनौती देकर यह पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अपने फैसले में शेखावत की ओर से दी गईं सभी दलीलें नकारते हुए कहा कि वो अपना यह बचाव निचली अदालत में ट्रायल के दौरान पेश करें।   इस मत के साथ युगलपीठ ने मामले पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। 
                                                                                 गौरतलब है कि आईएएस रमेश थेटे व उनकी पत्नी मंदा थेटे ने अपैक्स बैंक शाखा राइट टाउन जबलपुर से वर्ष 2002 में स्मार्ट ऑडियो कंपनी के नाम पर 25 लाख रुपये का लोन लिया था। उस समय आईएएस अधिकारी संचालक रोजगार व प्रशिक्षण के पद पर जबलपुर में ही पदस्थ थे। लोकायुक्त ने जांच के दौरान पाया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक मैनेजर केशव देशपांडे ने उक्त लोन स्वीकृत किया। इस पर लोकायुक्त ने आईएएस रमेश थेटे, उनकी पत्नी मंदा थेटे व बैंक मैनेजर के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। जबलपुर लोकायुक्त कोर्ट ने 24 मार्च 2013 को मंदा थेटे व बैंक मैनेजर केशव देशपांडे को एक-एक साल की सजा व 20-20 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था। उक्त प्रकरण के विचाराधीन होने के दौरान आरबीआई की गाइड लाइन के विपरीत जाते हुए बैंक ने एक मुश्त समाधान योजना के तहत 24 अक्टूबर 2011 को मंदा थेटे से समझौता कर लिया। इससे बैंक को 39 लाख 75 हजार रुपये से अधिक की हानि हुई थी। आपराधिक प्रकरण में समझौता किये जाने पर लोकायुक्त ने बैंक के तत्कालीन चेयरमैन भंवर सिंह शेखावत, तत्कालीन महाप्रबंधक आरबी भट्टी, सुशील मिश्रा, डिप्टी जीएम केशव देशपांडे, ओएसडी अरविंद सिंह सेंगर व लेखापाल एचएस मिश्रा के खिलाफ 420 व 120 बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में दी गई अभियोजन की अनुमति को चुनौती देकर तत्कालीन चेयरमैन भंवर सिंह शेखावत की ओर से यह पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी।
मामले पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान शेखावत की ओर से दलील दी गई कि वो को-ऑपरेटिव बैंक का चेयरमैन था न कि लोकसेवक। ऐसे में उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि बैंक को केन्द्र या राज्य सरकार से कोई वित्तीय मदद नहीं मिल रही थी। वहीं लोकायुक्त की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे ने कहा कि आरोपी के खिलाफ दी गई अनुमति सही है। पूरे मामले पर गौर करने के बाद युगलपीठ ने मामले पर हस्तक्षेप से इनकार करके पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। 
 

Created On :   17 Feb 2018 2:47 PM IST

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