शिवसैनिकों को मिला चुनावी तोहफा,पुराने कार्यकर्ताओं ने पाया महामंडल में स्थान

Shiv senas got electoral gift, old workers found place in mahamandal
शिवसैनिकों को मिला चुनावी तोहफा,पुराने कार्यकर्ताओं ने पाया महामंडल में स्थान
शिवसैनिकों को मिला चुनावी तोहफा,पुराने कार्यकर्ताओं ने पाया महामंडल में स्थान

डिजिटल डेस्क,नागपुर। सत्ता में सम्मानजनक भागीदारी के लिए चार साल तक तड़पते रहे शिवसैनिकों को चुनावी तोहफा मिलने लगा है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने महामंडलाें में पदाधिकारियों की नियुक्तियां की है। इन महामंडलों में नागपुर के पुराने शिवसेना कार्यकर्ताओं को भी स्थान मिला है। पूर्व उपमहापौर  शेखर सावरबांधे को खनिज महामंडल, पूर्व जिला प्रमुख सतीश हरडे, रमेश वंजारी व चंद्रहास राऊत को महाराष्ट्र राज्य गृह निर्माण विकास महामंडल का सदस्य बनाया गया है।

गौरतलब है कि 2014 में भाजपा व शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में अलग अलग दांव आजमाया था। भाजपा ने सबसे बड़े दल के तौर पर राज्य की सत्ता संभाली थी। तब शिवसेना विपक्ष में थी। एक माह बाद शिवसेना सत्ता में शामिल हुई। उसके बाद सत्ता में सम्मानजनक भागीदारी के लिए भाजपा व शिवसेना में टकराव की स्थिति रही। यहां तक कि विविध निकाय चुनाव में भी शिवसेना ने भाजपा के विरोध में दांव आजमाया। टकराव का आलम यह रहा कि मंत्रिमंडल में भी शिवसेना को प्रमुख पद नहीं मिल पाए। महामंडलों के गठगठन की चर्चा चलती रही लेकिन गठन नहीं हो पाए। पिछले 6 माह में अचानक कुछ महामंडलों का गठन हुआ।

जिले के पूर्व शिवसेना विधायक आशीष जैस्वाल को राज्य खनिज महामंडल का अध्यक्ष बनाया गया। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा व शिवसेना में गठबंधन होने के बाद भी शिवसैनिक नाराजगी व्यक्त कर रहे थे। पिछले सप्ताह ही नागपुर में जिला प्रमुख प्रकाश जाधव ने खुलकर असंतोष जताया था। चुनाव के लिए आचार संहिता लगने के पहले शहर में विविध विकास कार्यों का भूमिपूजन व उद्घाटन का दौर चल रहा था। शिवसेना के किसी पदाधिकारी को आमंत्रित नहीं किए जाने पर जाधव ने कहा था कि भाजपा को चुनाव में शिवसेना का साथ चाहिए या नहीं। 

नाममात्र की नियुक्ति

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह नियुक्तियां भी नाममात्र की है। अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनाव के साथ ही महामंडलों की समितियां भंग हो जाएगी। उसके बाद नई सरकार नए सिरे से महामंडल का गठन करेगी। फिलहाल लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगी है। 3 माह तक आचार संहिता के कारण महामंडल कोई काम नहीं कर पाएगा। उसके 3 माह बाद विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाएगी। लिहाजा का जा सकता है कि अब महामंडल पदाधिकारियों व सदस्यों का काम 3 माह के लिए ही रहेगा। 

नागपुर में तरसते कार्यकर्ता

नागपुर में सत्ता के लिए शिवसैनिक तरसते रहे हैं। पहले यहां की मनपा में भाजपा व शिवसेना की सत्ता में भागीदारी रहती थी। शिवसेना के दो उपमहापौर भी बने। लेकिन बाद में शिवसेना को मनपा की सत्ता में किसी तरह की भागीदारी नहीं दी गई। मनपा की समितियों में भी निर्दलीय व छोटे दलों के नगरसेवकों को स्थान दिया गया। विशेष कार्यकारी अधिकारी नियुक्ति के मामले में यहां के शिवसैनिकों की निरंतर उपेक्षा की जाती रही है। 

Created On :   13 March 2019 9:47 AM GMT

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