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शिवसेना 70 गांवों में निकालेगी संघर्ष यात्रा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोंकण की ग्रीन रिफायनरी परियोजना के बाद शिवसेना ने अब मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। पार्टी पालघर में परियोजना प्रभावित 70 गांवों में संघर्ष यात्रा निकालेगी। साथ ही पार्टी की तरफ से बुलेट ट्रेन परियोजना के विरोध में ग्रामसभा में मंजूर प्रस्ताव को महाराष्ट्र विधानमंडल और संसद में रखा जाएगा। शिवसेना नेता व विधान परिषद सदस्य नीलम गोर्हे ने यह जानकारी दी। पालघर में लायंस क्लब मैदान में बुलेट ट्रेन परियोजना के विरोध में दिशा तय करने के लिए बैठक हुई। इसमें शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता मौजूद थे। इस बैठक में कष्टकरी संगठन, भूमि अधिकार आंदोलन, महाराष्ट्र राज्य किसान सभा, गुजरात खेडूत समाज, पर्यावरण सुरक्षा समिति और किसान संघर्ष समिति के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
महाराष्ट्र विधानमंडल और संसद में उठाएंगे मामला
गोर्हे ने कहा कि परियोजना प्रभावित 70 गांवों की ग्रामसभा में बुलेट ट्रेन के विरोध में प्रस्ताव मंजूर हुआ है। पार्टी की तरफ से संघर्ष यात्रा निकाल करके संबंधित प्रस्तावों को कृषि समिति की मदद से इकट्ठा किया जाएगा। इसके बाद इस प्रस्ताव को महाराष्ट्र विधानपरिषद, विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में रखा जाएगा। इस पर चर्चा के बाद बुलेट ट्रेन परियोजना को रद्द करने के लिए सरकार को मजबूर किया जाएगा। गोर्हे ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए महाराष्ट्र की 398 हेक्टेयर जमीन जाएगी। इसमें से पालघर जिले में 221.38 हेक्टेयर जमीन प्रभावित होगी। इसलिए सरकार को बुलेट ट्रेन की अपेक्षा मौजूदा रेलवे की स्थिति में सुधार करने पर जोर देना चाहिए। गोर्हे ने कहा कि दिखावे के लिए विकास न करते हुए मानवी चेहरे का विकास को महत्व दिया जाना चाहिए।
इधर 70 आदिवासी गांवों ने जमीन देने से किया इनकार
बुलेट ट्रेन परियोजना देश की पहली हाई स्पीड रेल परियोजना है, जिसकी कुल लंबाई 508 किलोमीटर है। मोदी सरकार ने इस बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए 2018 के अंत तक जमीन अधिग्रहण का लक्ष्य रखा है। 508 किलोमीटर में से 110 किलोमीटर का हिस्सा महाराष्ट्र के पालघर जिले से होकर गुजरता हैं। जमीन को लेकर यहां के स्थानीय समुदाय और जनजातीय लोग विरोध में आ गए हैं। यहां के लगभग 70 आदिवासी गांवों ने इस परियोजना के लिए अपनी जमीन देने से साफ इनकार कर दिया है। बताया जा रहा हैं कि अगर सरकार ने जबरदस्ती जमीन लेने की कोशिश की तो बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। बता दें, बुलेट ट्रेन परियोजना का काम 2019 के पहले माह से शुरू होगा।
Created On :   4 Jun 2018 1:13 PM IST