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45 दिनों में लाखों की कमाई देता है रेशम उद्योग

डिजिटल डेस्क, टाकरखेडा संभू (अमरावती)। मौसम में हुए बदलाव और लगातार फसल न होने से परेशान न होते हुए टाकरखेड़ा संभू की महिला किसान पौर्णिमा सवाई ने रेशम खेती को अपनाते हुए 45 दिन में रेशम फसल लेकर एक सफल किसान होने का आदर्श निर्माण किया। पिछले 14 वर्षों से वह रेशम खेती कर रही हैं। उनके इसी कार्य की दखल लेते हुए राज्य व केंद्र सरकार समेत विविध संगठनों ने अब तक उन्हें 22 पुरस्कार बहाल किए हैं। एक खेती पूरक व्यवसाय के तौर पर रेशम खेती करने का आह्वान भी सवाई ने किसानों से किया है।
टारखेड़ा संभू निवासी पौर्णिमा विजय सवाई ने एम.ए (अर्थ) और ग्रामगीता की ग्रामगीताचार्य पदवी प्राप्त की और केवल अपने परिवार तक सीमित न रहते हुए खेती करने का उसने निर्णय लिया। खेती में अपना करियर बनाने का निर्णय उन्होंने लिया और कम समय में ज्यादा आय दिलवानेवाले रेशम खेती को उन्होंने अपनी पसंद दर्शायी और पिछले 14 वर्ष से पौर्णिमा सवाई ने रेशम खेती करते हुए अन्य किसानों के सामने आदर्श निर्माण किया है। रेशम खेती के माध्यम से उन्होंने तीन परिवार को रोजगार उपलब्ध कर दिया है। एक महीने में आने वाली यह फसल किसानों को पूरक उद्योग के रूप में आर्थिक स्थिरता देती है। 2 एकड़ में शहतूत (तुती) की बुआई की तो वर्ष में 5 से 6 बार फसल ली जाती है। उस माध्यम से कम से कम से तीन से साढ़े तीन लाख रुपए का आर्थिक लाभ मिल जाता है। इसके साथ ही जागरुती चौकी सेंटर के माध्यम से किसानों को चौकी मुहैया कराई जाती है। इस तरह रेशम की फसल किसानों को आर्थिक स्थिरता देने वाली फसल है। इस उद्योग में पौर्णिमा सवाई को उनका बेटा ब्रजेश और बहू कल्याणी भी मदद करती है।
Created On :   16 May 2022 2:37 PM IST