- Home
- /
- बहू सास-ससुर के पास रखी थी सोना,...
बहू सास-ससुर के पास रखी थी सोना, कोर्ट में दावा साबित नहीं पाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक बहू द्वारा अपने सास-ससुर के खिलाफ दायर उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने ससुराल वालों पर अपने 350 ग्राम सोने के जेवर वापस नहीं लौटाने का आरोप लगाया था। दरअसल पति की मृत्यु के बाद पत्नी अपने मायके लौट गई थी। एक वर्ष बाद उसने दूसरा विवाह भी कर लिया, लेकिन अपने जेवर वापस लेने व कुछ महीनों के मेंटेंनेंस के लिए उसने पारिवारिक न्यायालय में सास-ससुर के खिलाफ याचिका दायर की थी। पारिवारिक न्यायालय द्वारा अर्जी खारिज होने के बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
खाली था बैंक का लॉकर
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह निकल कर आया कि ये जेवर पति-पत्नी ने अपने संयुक्त बैंक लॉकर में रखे थे। पति की मृत्यु के बाद सिर्फ पत्नी को ही लॉकर खोलने के अधिकार थे। जेवर के विवाद के बाद जब अंतत: बैंक लॉकर खुलवाया गया, तो वह खाली था, कोई जेवर नहीं रखे थे। हाईकोट में पत्नी ने सफाई दी कि जेवर किसने निकाले उसे नहीं मालूम, न ही उसने बैंक अधिकारियों से यह जानने की जहमत उठाई। हाईकोर्ट के मांगने पर वह जेवरों के बिल भी जमा नहीं कर पाई। इधर ससुराल वालों ने दलील दी कि जेवर बहू ने पहले ही निकाल लिए हैं। ऐसे में उसका दावा निरर्थक है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद बहू का जेवर का दावा खारिज कर दिया।
आंशिक मुआवजा मिलेगा
दरअसल पत्नी ने पति की मृत्यु के करीब 21 महीनों बाद दूसरा विवाह कर लिया। वह इन्हीं 21 महीनों के मेंटेंनेंस के लिए ससुराल वालों पर दावा की थी। ससुराल वालों का दावा था कि बहू को पहले ही उसकी बहुत सी वस्तुएं लौटा दी गई हैं। उसने परिवार की एक गाड़ी बेच कर 8 लाख रुपए भी रख लिए हैं। ऐसे में उसे मेंटेंनस नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन हाईकोर्ट ने ससुराल वालों की इस दलील से सहमति नहीं जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू अडॉप्शन एंड मेंटेंनेंस एक्ट धारा 21 के तहत मृतक की पत्नी ससुराल वालों पर तब तक आश्रित होती है, जब तक वह पुनर्विवाह नहीं कर लेती। धारा 22 के तहत मृतक की संपत्ति का इस्तेमाल कर रहे उत्तराधिकारियों पर मृतक की पत्नी की देखभाल की भी जिम्मेदारी होती है। चूंकि ससुराल वालों को पति की इंश्योरेंस की 42 लाख की रकम व अन्य प्रकार के लाभ मिले थे, ऐसे में पत्नी को मुआवजा देना भी उनकी जिम्मेदारी है। हाईकोर्ट ने सास-ससुर को आदेश दिए हैं कि वे बहू को 21 महीनों के लिए 7500 रुपए प्रतिमाह, 10 हजार मुकदमे का खर्च अदा करें।
Created On :   15 Feb 2021 2:08 PM IST