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सीतापुर: डीएम का फरमान ‘शौचालय के साथ फोटो भेजने पर मिलेगी सैलरी’
डिजिटल डेस्क, सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में डीएम के अजीबो-गरीब फरमान से सरकारी कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। दरअसल जिले के सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों, चपरासी और हेल्पर सहित अन्य स्टाफ, महिला हो या पुरुष सभी को आदेश जारी किया गया है कि वे हर दिन शौचालय के सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाएं और अपने विभागाध्यक्ष के पास जमा कराएं। अगर कर्मचारी तस्वीर भेजने में लापरवाही करते हैं तो उनकी मई महीने की सैलरी रोक दी जाएगी।
Order issued for government employees in #Sitapur on direction of District Magistrate, asking them to submit a picture of them posing in front of toilet at their home, along with a proof certificate. The order said their salary for May month will be stalled if they fail to obey pic.twitter.com/WFUrtI0pzy
— ANI UP (@ANINewsUP) May 26, 2018
सीतापुर की जिलाधिकारी शीतल वर्मा के निर्देश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार ने ये आदेश जारी किया है। जिसमें कहां गया है कि सरकारी विभाग में काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी को हर दिन शौचालय के इस्तेमाल करने का सबूत देना होगा। सबूत के तौर पर कर्मचारियों को शौचालय के साथ अपनी फोटो दिखानी होगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा चाहे पुरुष हो या महिला, सभी कर्मचारी नियमित शौचालय के इस्तेमाल का प्रमाण देने के लिए टॉयलेट के सामने खड़े होकर फोटो खिचवाएं फिर इन फोटोज को अपने विभागाध्यक्ष के पास जमा करें। अगर 27 मई तक फोटो जमा नहीं कराई गईं तो मई महीने की सैलरी रोक दी जाएगी।
बीएसए अजय कुमार के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए ये आदेश जारी किए गए हैं। जो कर्मचारी शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते हैं वे भी करें और दूसरे लोगों को भी टॉयलेट के इस्तेमाल करने के लिए जागरूक करें। इस फरमान के बाद अधिकारियों ने अपने विभाग के कर्मचारियों को आदेश का पत्र भेजना शुरू कर दिया है।
वहीं कर्मचारियों में इस आदेश से हड़कंप मचा हुआ है। कर्मचारी फोटो समेत प्रमाण पत्र देने का आदेश वापस लेने की मांग कर रहे हैं। बेसिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष राज किशोर सिंह ने बीएसए से मांग की है कि टॉयलेट के इस्तेमाल का प्रमाण पत्र लें, मगर साथ में फोटो भेजने की अनिवार्यता खत्म करें। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि वो पहले से जागरूक है इसलिए वेतन रोकने की चेतावनी उचित नहीं है। अगर सैलरी रोकी गई तो आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे।
हालांकि फरमान पर बवाल मचने के बाद जिलाधिकारी शीतल वर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया जिससे ये पता चल सके कि फर्जी तौर पर टॉयलेट बनवाने का काम कौन कर रहा है, क्योंकि शौचालय बनवाने के लिए लोग अब भी सरकारी सहायता मांग रहे हैं।
गौरतलब है कि सीतापुर को ओडीएफ घोषित करने के लिए 2014 में साढ़े चार लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लापरवाही के कारण शौचालयों का निर्माण धीमी रफ्तार से हुआ। 2 अक्टूबर 2018 तक जिले को ओडीएफ करने का लक्ष्य है, जिसको पूरा करने के लिए अब जिला प्रशासन पूरी मेहनत कर रहा है।
Created On :   26 May 2018 10:59 AM IST