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स्किन टू स्किन : हाथ पकड़ना और किसी भी तरह की अश्लील हरकतें करना विनयभंग का मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। "स्किन टू स्किन" के बहुचर्चित फैसले के अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने पॉक्सो के ही एक अन्य मामले में एक और फैसला दिया है। न्या.पुष्पा गनेडीवाला की खंडपीठ ने एक अन्य फैसले में यह स्पष्ट किया है कि किसी आरोपी को पॉक्सो अधिनियम में गंभीर यौन हिंसा के तहत सजा देने के लिए उसके खिलाफ गंभीर सबूत होना जरूरी है। महज शिकायत में यह कह देना कि जब आरोपी ने बालिका का हाथ पकड़ा था, तब उसके पैंट की जिप खुली थी, किसी को सजा दिलाने के लिए काफी नहीं है। इसे गंभीर यौन हिंसा नहीं, विनयभंग मानना चाहिए। इसी निरीक्षण के साथ नागपुर खंडपीठ ने गड़चिरोली निवासी लिबनस फ्रांसिस कुजूर (50) को विनयभंग का दोषी करार देकर उसके द्वारा काटी गई 5 माह की जेल की सजा को काफी मान कर उसे बरी कर दिया है। कोर्ट ने उसे भादवि 354-ए(1)(1),448 पॉक्सो धारा 12 के तहत दोषी माना है, लेकिन कोर्ट ने उसे गंभीर यौन हिंसा का दोषी नहीं माना। इसलिए उस पर सत्र न्यायालय द्वारा लगाई गई पॉक्सो धारा 8 व 10 (5 वर्ष की जेल) की धारा को हटा दिया गया है।
यह है आरोप : पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार, आरोपी ने 11 फरवरी 2018 को एक 5 वर्षीय बच्ची का हाथ पकड़ा था। तब बालिका के घर में उसकी 3 वर्षीय छोटी बहन थी। मां काम पर गई थी और पिता शहर से बाहर थे। इसी बीच मां घर पहुंची, उसने देखा कि आरोपी ने बालिका का हाथ पकड़ा है और आरोपी की पैंट की जिप खुली है। मां ने आस-पड़ोस के लोगों को जमा किया और बाद में आरोपी के खिलाफ पुलिस में भादवि 354 और पॉक्सो धारा 8,10 और 12 के तहत मामला दर्ज किया गया था। सत्र न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देकर पॉक्सो में 5 वर्ष और विनयभंग के लिए 1 वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी। सत्र न्यायालाय के फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने यह फैसला दिया है। उल्लेखनीय है कि नागपुर खंडपीठ के "स्किन टू स्किन" के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली है। नागपुर खंडपीठ के इस फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने 27 जनवरी को स्थगन लगाया था। कोर्ट का उक्त फैसला भी काफी चर्चा में है।
Created On :   29 Jan 2021 11:00 AM IST