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50 करोड़ के स्पोर्ट्स उपकरण खरीदी में धांधली, एमडी के बदलते ही अफसरों ने खामियां दबाने कंपनियों से मांगे कागज

भास्कर ब्यूरो भोपाल। लघु उद्योग निगम के अधिकारियों ने 50 करोड़ के स्पोर्ट्स आइटम और उपकरण खरीदी में धांधली शुरू कर दी। दरअसल, इस खरीदी का टेंडर तत्कालिन एमडी विशेष गढपाले के कार्यकाल का है, जिसमें उन्होंने खामियां पाई थी। लेकिन उनका तबादला होते ही वर्तमान एमडी व अन्य अधिकारियों ने दो कंपनियॊं से मिलीभगत करके खामियां दबाकर उन कंपनियों से अब वे पेपर मांगे हैं जो टेंडर में जमा ही नहीं किये गये। जबकि ऐसा नहीं किया जा सकता है।
इस टेंडर में मेसर्स एक्सेल स्पोर्ट्स बंगलौर एवं मेसर्स मेट्रिक्स स्पोर्ट्स दिल्ली ने ही हिस्सा लिया था। इसमें लगभग 250 खेल सामग्रियों के सैंपल चाहे गए, जिसमें घुमा फिरा कर लिखा गया कि नमूने निविदा की दिनांक से 1 दिन पूर्व जमा कराए जाए। टेंडर की अवधि खत्म होने के एकदिन पहले इन कंपनियों लाभ पहुंचाने अफसरों ने नियम ताक पर रख दिये।
आज तक लघु उद्योग निगम के टेंडर में सैंपल 1 दिन पूर्व नहीं चाहे गए, टेंडर के 1 दिन पूर्व लघु उद्योग निगम में अवकाश था एवं विभाग ने किसी तरह का पोर्टल पर अथवा लिखित आदेश से प्रतिभागियो को सैंपल जमा रविवार या शनिवार को भी होने एवं किसी अधिकारी को नमूने जमा करने के लिए अप्वॉइंट किया गया है, दोनों फर्मो को लाभ पहुंचने के उद्देश्य से जान बूझकर निविदा में उक्त स्पेशल शर्त को छिपा कर रखा गया।
निविदा में दोनों इकाइयों के कुछ पेपर में कमी पाई गई एवं इस हेतु निचले स्तर पर निविदा में दोनों फर्मों के तकनीकी रूप से अपात्र पाए जाने के उपरांत निविदा निरस्त करने की नोटशीट भी वरिष्ठ अधिकारयो के समक्ष प्रस्तुत कर दी थी, सभी तत्थ्यों को देखने एवं निविदा में केवल दो प्रतिभागी होने के कारण तत्कालीन प्रबंध संचालक द्वारा इस निविदा को निरस्त करके का आश्वाशन देकर नई निविदा प्रकाशित करने का कहा गया।
तत्समय के प्रबंध संचालक द्वारा दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया जाकर दोनों इकाइयों को लाभ पहुंचने के उद्देश्य से निविदा में पाई गई कमियों हेतु दोनों फर्मो को पत्र के माध्यम से शेष पेपर बुलाये जा रहे हे जो की निविदा के एवं लघु उद्योग निगम में इस प्रकार प्रचलित नहीं है पूर्व में इस प्रकार का कर नियम नहीं था।
सूत्रों के अनुसार नियम से विरूद्ध जाकर दिल्ली के केबिनेट मंत्री के सहयोगी के इशारे पर उक्त दोनों फर्मो से दर निर्धारण हेतु पेपर मांगे जा रहे है। जबकि ऐसा मप्र लघु उद्दयोग निगम में कभी नहीं हुआ, फिर किसी व्यक्ती को obliged करने के लिए एसा क्यों किया जा रहा है।
निविदा में मेट्रिक स्पोर्ट्स ने जो अथाराइजेशन लगाए हैं वो ओरिजिनल मैन्यूफ्रेक्चर द्वारा नहीं दिए गए हैं, विभाग द्वारा अथाराइजेशन फिर से जमा करने के लिये कहा गया है। यह निविदा के वैल्यू लगभग 50 करोड़ रु है। इतनी बड़ी रही कि निविदा में नियम का पालन नहीं किया जाकर हेराफेरी की जा रही है, वह जांच का विषय है।
Created On :   10 Nov 2022 12:29 PM IST