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'स्मार्ट पेट्रोलिंग' से वन्य जीवों की सुरक्षा, गश्त के लिए बनाए 55 दल

डिजिटल डेस्क,मंडला। कान्हा नेशनल पार्क में बारिश के सीजन में वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए 55 दल कोर और बफर की निगरानी कर रहे है। गश्ती करने वाले दलों को जीपीएस डिवाइस दी गई है, ताकि गश्त के दौरान किसी भी प्रकार की कोई चूक न होने पाए। हाथियों के सहारे भी पेट्रोलिंग की जा रही है। जिससे वन्यप्राणियों को शिकारियों से बचाया जा सके।
बारिश के मौसम में कान्हा नेशनल पार्क का कोर एरिया पर्यटन के लिए बंद कर दिया गया है। बारिश में कान्हा नेशनल पार्क में घुसपैठ की संभावना बढ़ जाती है। बारिश के चलते रास्ते बंद होने के बाद वाहन से गश्ती बंद हो जाती है। दुर्गम इलाकों में पहुंचना आसान नहीं होता है।
इसी के चलते कान्हा पार्क प्रबंधन चुनौतियों से निपटने के लिए मानसून गश्ती की कार्ययोजना बनाता है। मानसून गश्ती के लिए कान्हा नेशनल पार्क में 55 दल बनाए गए है। कोर एरिया में 39 दल और बफर में 16 दल निगरानी कर रहे है। दुर्गम इलाकों में पैदल जाकर वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए दल नजर रखे हुए है। इंसान के पैर के निशान, पानी में जहरीली दवा, यहां तक कपड़ा, खाने-पीने के साम्रगी के अवशेषों की जांच की जा रही है। बारिश के मौसम में वन्यप्राणियों के शिकार को रोकने के लिए मैदानी अमला अलर्ट है।
गश्ती की जीपीएस से निगरानी
मानसून गश्ती के लिए बनाई गई कार्ययोजना के तहत पेट्रोलिंग हो इसके लिए दल के पास जीपीएस डिवाइस रहती है। दल कहां जा रहा है और कैसे जंगल में भ्रमण कर रहा है। इसका मैप तैयार हो रहा है। जीपीएस मे अधिकारी इस बात का ध्यान रखते है कि संवेदनशील इलाके में नियमित पेट्रोलिंग हो रही है या नहीं। कान्हा प्रबंधन स्मार्ट पेट्रालिंग की निगरानी जीपीएस से ट्रेक कर रहा है। जिससे वन्यप्राणियों की सुरक्षा में अमला लापरवाही ना बरते और सुरक्षा में सेंध ना लग सके।
फील्ड डायरेक्टर संजय कुमार शुक्ला का कहना है कि मानसून गश्ती शुरू कर दी गई है। 55 दल और 14 हाथियों से स्मार्ट पेट्रोलिंग की जा रही है, कर्मचारियों के पास जीपीएस डिवाइस है, जिससे कोलेशन मैप तैयार हो जाता है, इससे गश्ती की जानकारी लगती है।
हाथियों से भी गश्त
कान्हा पार्क में 14 हाथियों के सहारे भी पेट्रोलिंग की जा रही है। कोर एरिया में हाथी से पेट्रेालिंग में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वन्यप्राणियों से भी दल का कम खतरा रहता है और नदी, नाले का पार कर गश्ती की जा सकती है। जहां हाथी नहीं पहुंचते वहां से पैदल गश्त की जाती है।
Created On :   17 July 2017 4:13 PM IST