सोशल मीडिया तय न करे न्यायपालिका का भविष्य

Social media should not decide the future of judiciary
सोशल मीडिया तय न करे न्यायपालिका का भविष्य
सोशल मीडिया तय न करे न्यायपालिका का भविष्य

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पॉक्सो पर विवादित स्किन-टू-स्किन फैसला देने वाली बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ की न्या. पुष्पा गनेडीवाला के समर्थन में नागपुर के वकीलों का एक बड़ा समूह आ गया है। इस संगठन ने सर्वोच्च न्यायालय, देश के राष्ट्रपति से लेकर विविध स्तरों पर निवेदन सौंपने की तैयारी की है। दरअसल, यह फैसला देने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने न्या. गनेडीवाला की पद्दोन्नति की सिफारिश केंद्र सरकार से वापस ले ली थी। अतिरिक्त न्यायमूर्ति के रूप में कार्यरत न्या. गनेडीवाला की स्थायी नियुक्ति इससे होल्ड पर आ गई।

वकीलों के अनुसार, उस फैसले को आधार बनाकर काबिल जज के रूप में पहचाने जाने वाली न्या. गनेडीवाला के खिलाफ सोशल मीडिया में खूब दुष्प्रचार किया गया। शायद सोशल मीडिया पर आने वाली प्रतिक्रियाओं से प्रभावित होकर कॉलेजियम ने जल्दबाजी में अपना फैसला लिया। ऐसे फैसलों से यह लगता है कि कहीं सोशल मीडिया देश की न्यायपालिका का भविष्य तय न करे। वकीलों द्वारा तैयार ज्ञापन में कहा गया है कि हाईकोर्ट के किसी फैसले पर न्यायिक त्रुटि निकाल कर सर्वोच्च न्यायालय उसे पलट सकता है। 

पूर्व में ऐसे कई मामले आए हैं, जिसमें सर्वोच्च न्यायलय ने हाईकोर्ट के फैसले से असहमति जताई है। एक फैसले के कारण किसी हाईकोर्ट जज की पद्दोन्नति रोकने से काबिल जजों में गलत संदेश जाएगा। किसी मामले में जनमत के खिलाफ न्यायिक दृष्टि से सही फैसला भी हो, तो उसे सुनाने में जज डरने लगेंगे। वकीलों के इस समूह का नेतृत्व करने वाले एड.श्रीरंग भंडारकर ने कॉलेजियम से उनके फैसले पर पुनर्विचार करके विधि वर्ग के लिए हितकारी फैसला लेने की प्रार्थना की है। 

Created On :   10 Feb 2021 1:37 PM IST

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