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दोनों पैर गंवाने के बाद भी दुश्मनों से लोहा लेने तैयार है रामदास : सैनिक के जज्बे को सलाम

डिजिटल डेस्क बालाघाट । कोबरा बटालियन 208 के जांबाज सिपाही रामदास में देश सेवा का ऐंसा जज़्बा भरा हुआ है कि वह नक्सली हमले में अपने दोनों पैर गवांने के मात्र तीन माह बाद ही एक बार फिर दुश्मनों से लोहा लेने तैायार है । इलाज के बाद रामदास अपने घर वापस चला गया था जो दुश्मनों को सबक सिखाने पुन: अपने बेस कैम्प बालाघाट आ गया है । इस सैनिक को सीनियर अफसरों व्दारा फिटनेस के बाद ट्रेनिंग दी जा रही है । कोबरा बटालियन 208 का ये जवान बिना पैरो के ही जिम जाता है। फायरिंग रेंज में निशाने साधता है। और जोश से लबरेज होकर फिर एक बार नक्सलियों से लोहा लेने की तैयारी कर रहा है। महाराष्ट्र के ठाणे जिले का रहने वाला बी रामदास कोबरा बटालिययन का 208 बालाघाट बेस कैम्प का हिस्सा है। 3 महीने पहले 29 नवंबर 2017 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सली क्षेत्र में अपने साथियों के सर्चिंग पर गया था, लौटते समय नक्सलियों द्वारा जवानों के लिए बिछाई गई लेंडमाईंन पर उसका पैर आ गया और वह उस लेंडमाईंन की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसे जंगल से कुछ दूर बटालियन केम्प में ले जाया गया तथा प्राथमिक उपचार के बाद विशेष हेलीकाप्टर से नारायण हास्पिटल लाया गया, जहां पर डॉक्टरों द्वारा उसके पैरो को बचाने के लिए बरसक प्रयास किया गया लेकिन बारूदों के चपेट में आने के कारण डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए पैर काटना ही उचित समझा और आपरेशन से उसके दोनो पैर अलग कर दिये गये। कुछ दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद रामदास अपने गांव चला गया, लेकिन उसे देश के लिए सेवा करने का जज्बा फिर वापस अपने साथियों के पास बटालियन में आ गया।
हिम्मत ना हारेंगे
सुकमा के नक्सली हमले में अपने दोनो पैर गंवाने के बाद दिव्यांग हुये रामदस की हिम्मत ऐसी है कि वह केम्प में आने के बाद अपने शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए सुबह-शाम जीम करता है तथा अपने साथियों के साथ फायरिंग रेंज में जाकर फायरिंग भी करता है जिसका निशाना आज भी अचूक है जबकि किसी जवान के साथ ऐसा हादसा हो जाये तो वह रिटायर होकर घर चला जाता है, लेकिन रामदास की पत्नी की हिम्मत जो उसे वापस देश की सेवा के लिए बटालियन में जाने के लिए तथा अपने साथियों के जज्बे को देखकर आज उसका भी जज्बा देश की सेवा करने के लिए तैयार है।
उनकी खुशी ही मेरी जिदंगी है- रेणुका
रामदास की पत्नी रेणुका ने चर्चा के दौरान बताया कि जब यह घटना हुई थी तो मै बहुत दु:खी हो गई थी, लेकिन उनके जज्बे और हिम्मत को देखकर मेरे को भी हिम्मत आई। अस्पताल में इलाज के बाद जब घर लौट गये थे, लेकिन पूरा ठीक होने के बाद हमेशा ही वो अपने कोबरा बटालियन 208 में जाने के बाद कहते थे देश की सेवा करने का जज्बा उनमें अभी भी है। जिसको देखकर आज मुझे बहुत खुशी होती है कि वे इतने बड़े हादसे के बाद भी उनमें देश प्रेम की भावना है।
फिर जाना चाहता हूं सर्चिंग पर- रामदास
रामदास का कहना है कि मै अभी भी हिम्मत नहीं हारा यदि मै चलने लगा तो फिर एक बार अपने साथियों के साथ जंगल में सर्चिंग करने के साथ-साथ नक्सलियों से दो-दो हाथ करने को अब भी तैयार हूं। मेरा हौसला जो पहले था आज भी वैसे ही है मै गोलियों से नहीं डरता और देश की सेवा के लिए सिने पर गोली खानी पड़ी तो भी पिछे नहीं हटुंगा।
इनका कहना है
बटालियन का यह जवान छत्तीसगढ़ में तैनात था जो कि नक्सली हादसे में जख्मी हो गया था जो इलाज के बाद स्वस्थ हो गया इसके जज्बे को देखते हुए बालाघाट कोबरा बटालियन की ट्रेनिंग सेंटर में भेजा गया है। जिसे कंपनी द्वारा आर्टिफिशियल पैर लगाकर ट्रेनिंग दी जायेगी।
प्रदीप जॉन, डिप्टी कमांडेड






Created On :   6 Feb 2018 7:30 PM IST