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वैवाहिक मामलों में धोखाधड़ी साबित करने के लिए ठोस सबूत जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने औरंगाबाद निवासी एक परिवार को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट किया है कि विवाह के मामलों में धोखाधड़ी सिद्ध करने के लिए पीड़िता को ठोस वजह और सबूत प्रस्तुत करना जरूरी है। मामूली सी किसी बात पर पूरे ससुराल वालों को कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है।
यह था मामला
अंकिता और अक्षय (परिवर्तित नाम) का विवाह जून 2012 में हुआ था। लेकिन दोनों में नहीं बनी। अंकिता ने अक्षय से तलाक लेने का फैसला लिया। इसके पीछे अंकिता ने वजह बताई कि अक्षय शराब और सिगरेट पीता है और मांसाहार करता है। इसके अलावा वह अवसाद में है, जिसके कारण वह अंकिता के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाता। इस आधार पर दोनों में तलाक हो गया। बाद में अंकिता ने अक्षय और ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत कर दी। पुलिस ने जब कार्रवाई नहीं की तो अंकिता ने जेएमएफसी कोर्ट की शरण ली। जहां जेएमएफसी कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ भादवि 420 के तहत कार्रवाई शुरू करने का फैसला लिया। आरोपियों ने अकोला सत्र न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी। तो सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी। जिसके बाद पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
यह रहा हाईकोर्ट का निरीक्षण
इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में यह निकल कर आया कि अंकिता और उसके परिवार को शादी के पूर्व यह बताया गया था कि अक्षय शराब-सिगरेट नहीं पीता और वह शाकाहारी है। अंकिता के इस आरोप का आधार यह था कि उसने शादी के बाद घर में शराब की बोतल और सिगरेट का पैकेट देखा था। अक्षय ने उसके सामने ही शराब पी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने परिवार वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए इस बात को आधार मानने से इनकार कर दिया। मामले में अन्य ठोस सबूत नहीं होने के कारण सत्र न्यायालय का फैसला कायम रखते हुए पत्नी की याचिका खारिज कर दी।
Created On :   7 Jan 2021 4:52 PM IST