सोनिया गांधी के पत्र से गरमाई राजनीति , आरोप-प्रत्यारोप चलने लगे

Sonia Gandhis letter triggered heated politics, allegations and counter-allegations
सोनिया गांधी के पत्र से गरमाई राजनीति , आरोप-प्रत्यारोप चलने लगे
सोनिया गांधी के पत्र से गरमाई राजनीति , आरोप-प्रत्यारोप चलने लगे

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को न्यूनतम साझा कार्यक्रम लागू करने की याद दिलाने के लिए पत्र लिखने से राज्य की राजनीति गरमा गई है। हालांकि महा विकास आघाडी के नेता इसे "लेटर बम’ न मान कर संवाद का माध्यम बता रहे हैं जबकि विपक्षी भाजपा का कहना है कि इससे महाराष्ट्र सरकार की असफलता सामने आ गई है।  गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख कर सरकार गठन के वक्त तय न्यूनतम साझा कार्यक्रम लागू करने की बात कही है। अब तक कांग्रेस के नेता इस सरकार में पार्टी की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं पर अब पार्टी अध्यक्ष के पत्र लिखने के बाद कांग्रेस की नाराजगी खुल कर सामने आ गई है। पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक आशीष शेलार ने कहा कि सोनिया गांधी के पत्र से राज्य सरकार घिर गई है। यह साफ हो गया है कि महा विकास आघाडी सरकार में वंचितों को लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र  सरकार की योजनाओं का लाभ राज्य सरकार लोगों तक नहीं पहुंचा पा रही है। भाजपा विधायक ने कहा कि महा विकास आघाडी सरकार गैस पर आ चुकी है, इस लिए अब अपनी पार्टी बचाने के लिए सोनिया गांधी ने पत्र लिखा है। 

सत्ता के लिए लाचार है कांग्रेसः विखे पाटील
कभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे अब भाजपा विधायक राधा कृष्ण विखेपाटील ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सत्ता के लिए मजबूर है। इस सरकार का कोई समान कार्यक्रम नहीं है। केवल सत्ता के बंटवारे का कार्यक्रम है। विखेपाटील ने कहा कि सोनिया के पत्र से यह साबित हो गया है कि राज्य के कांग्रेस नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह किया था। पार्टी का स्थानीय नेतृत्व सत्ता के लिए लाचार है। 

पार्टी अध्यक्ष का पत्र संवादः थोरात
दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व राज्य के राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात ने राज्य सरकार का बचाव करते हुए कहा कि कांग्रेस में राज्य सरकार को लेकर कोई नाराजगी नहीं है। यह लेटर बम नहीं है। राज्य की महा विकास आघाडी सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर आधारित है। 

कांग्रेस पर राकांपा पर निशाना
कांग्रेस अध्यक्ष का मुख्यमंत्री ठाकरे क पत्र लिखना राकांपा का रास नहीं आया है। राकांपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। मलिक ने कहा कि यह सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर ही चल रही है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कांग्रेस के कुछ मंत्रियों की शिकायत पर कांग्रेस अध्यक्ष ने यह पत्र लिखा हो। मलिक ने कहा कि कांग्रेस के अंदरुनी विवाद के चलते सोनिया गांधी ने यह पत्र लिखा होगा। 
 
दबाव के लिए नहीं लिखा पत्रः राऊत

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पत्र को लेकर शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा कि महाविकास आघाडी सरकार बनाने में सोनिया गांधी और शरद की बेहद अहम भूमिका रही है। सरकार की स्थापना में हमने न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया था जिसके तहत ही यह पत्र लिखा गया है। कोरोना की वजह से कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में जो मुद्दे थे वह पूरे नहीं किए जा सके हैं। कांग्रेस के साथ हमारा गठबधंन है कोई दबाव की राजनीति नहीं है।

2 पेज के पत्र में उठाए चार मुद्दे
बीते 14 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा उद्धव ठाकरे को अंग्रेजी में लिखे गए दो पेज के पत्र में चार मुद्दे उठाए गए हैं। पत्र में उन्होंने यह जिक्र किया है कि राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी अनुबंधों और परियोजनाओं में आरक्षण की व्यवस्था को शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने लिखा था कि दलितों और आदिवासियों के कल्याण के लिए किए गए वादे बहुत अहम हैं। सरकारी महकमें में एससी-एसटी के रिक्त पद तत्काल भरे जाने की मांग की गई है। 

Created On :   19 Dec 2020 1:45 PM GMT

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