नए सिरे से एसआरए योजना, झोपड़पट्टियां निशाने पर

SRA plan renewed, slums targeted
नए सिरे से एसआरए योजना, झोपड़पट्टियां निशाने पर
नए सिरे से एसआरए योजना, झोपड़पट्टियां निशाने पर

डिजिटल डेस्क, नागपुर । फडणवीस सरकार में बंद पड़ चुकी झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) को महाविकास आघाड़ी सरकार नए सिरे से अमली जामा पहनाने जा रही है। सरकार ने इसके लिए राजस्व विभाग के अपर सचिव नितीन करीर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। एसआरए को दोबारा शुरू किए जाने से इसे लेकर संदेह गहरा गया है। खासकर जिन्हें जमीन का मालिकाना अधिकार (मालकी पट्टा) मिला है, वे इस योजना को लेकर आशंकित है। उन्हें डर है कि, एसआरए योजना के नाम पर उनका मालिकाना अधिकार छीनकर उन्हें दूसरी जगह स्थानांतरित न कर दें। 

इसी तरह का डर अनधिकृत झोपड़पट्टीधारकों में भी है। इन्हें लगता है कि, सरकार एसआरए योजना के जरिये झोपड़पट्टी की जगह खाली कराकर उन्हें अन्यत्र भेज न दें। इसे लेकर झोपड़पट्टियों को मालिकाना अधिकार सहित विविध घरकुल योजनाओं में लाभ दिलाने के लिए काम करने वाले गैरसरकारी संगठन भी सवाल उठा रहे हैं। उनका साफ कहना है कि, फिलहाल नागपुर में इस योजना की जरूरत है। नागपुर की झोपड़पट्टियां पहले की अपेक्षा से अधिक विकसित हो चुकी हैं। ऐसे में एसआरए लाकर उन्हें हटाना ठीक नहीं होगा। 
कांग्रेस-राकांपा सरकार ने लागू की थी योजना : वर्ष 1996-97 में शिवसेना-भाजपा की युति सरकार ने मुंबई के लिए झोपड़पट्टी पुनर्वास योजना (एसआरए) को लागू किया था। एसआरए का उद्देश्य था कि, शहरों को झोपड़पट्टी मुक्त कर झोपड़पट्टीवासियों को पक्के मकान देना था। झोपड़पट्टी की जगह पर ही मकान बनाकर देना या वहां संभव नहीं है, तो दूसरी जगह फ्लैट स्कीम बनाकर उन्हें शिफ्ट करना था। मुंबई में लागू की गई इस योजना को 2003-04 में कांग्रेस-राकांपा सरकार ने नागपुर और पुणे महानगर में लागू किया था, लेकिन नागपुर में यह योजना असफल रही। 

विरोध के कारण योजना क्रियान्वित नहीं हो पाई
नागपुर महानगर सीमा में झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण की स्थापना की गई, लेकिन शहर में योजना अंतर्गत एक भी प्रकल्प नहीं हुआ। झोपड़पट्टीवासियों ने इसका तीव्र विरोध किया, जिस कारण योजना क्रियान्वित नहीं हो पायी। बाद में यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुर्नरुत्थान अभियान के तहत शहरी गरीबों के लिए मूलभूत सुविधाएं कार्यक्रम (बीएसयूपी) में एसआरए द्वारा फ्लैट तैयार कर झोपड़पट्टीवासियों को आवंटित किया गया। शहर में सड़क निर्माण, रेलवे लाइन, सरकारी प्रकल्प व अन्य योजनाओं के कारण बाधित होने वाले झोपड़पट्टीवासियों को एसआरए द्वारा बीएसयूपी के तहत विभिन्न जगहों पर बहुमंजिला इमारत में 270 से 300 स्के. फीट के फ्लैट बनाकर उनका पुनर्वास किया गया। बीएसयूपी अंतर्गत झिंगाबाई टाकली में 134 फ्लैट, वांजरा में 214, गोपालनगर (डिप्टी सिग्नल)-180, पांच झोपड़ा-214, जाटतरोड़ी-45, आदिवासी गोंडटोली-100, नारी, उप्पलवाडी-234, नारी में 544 फ्लैट बनाकर दिए गए हैं। 

युति सरकार की योजना से खुश थे
शहर में एसआरए की बीएसयूपी योजना के अलावा कोई अन्य प्रकल्प सफल नहीं हुआ है। ऐसे में 2017 से फडणवीस सरकार द्वारा झोपड़पट्टीवासियों को मालकी पट्टे देने की योजना शुरू की गई है। इस योजना को लेकर झोपड़पट्टीवासियों में उत्साह था। उन्हें अपनी जगह का मालिकाना अधिकार मिल रहा था। रजिस्ट्री के कारण उनके आवास सुरक्षित हो रहे थे। इस बीच दोबारा एसआरए लागू करने की तैयारी से झोपड़पट्टीवासी इसे एक बार फिर संदेह की नजरों से देखने लगे हैं। 

झोपड़पट्टी मुक्ति के नाम पर विस्थापन का संकट 
राज्य सरकार झोपड़पट्टी मुक्त महाराष्ट्र के नाम पर फिर से  झोपड़पट्टियों को हटाने की नीति पर काम कर रही है।  झुग्गियों की जमीन के व्यापारीकरण का यह प्रयास है। मुंबई में एसआरए के तहत  झोपड़पट्टियों की जमीन बिल्डर्स को सौंपी गई हैं। यही स्थिति संपूर्ण महाराष्ट्र में होने की संभावना है।   इससे  झोपड़पट्टीवासियों पर विस्थापन का संकट बढ़ेगा। नागपुर शहर में झोपड़पट्टियों के लिए यह योजना अनावश्यक है। मुंबई की योजना नागपुर में क्रियान्वित करने की जरूरत नहीं है। इसकी आवश्यकता भी नहीं है। 
-अनिल वासनिक, संयोजक, शहर विकास मंच, नागपुर
 

Created On :   30 Oct 2020 10:52 AM GMT

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