दैनिक भास्कर हिंदी: मराठाओं को आरक्षण देने का केवल दिखावा कर रही है सरकार : श्रीहरि अणे  

November 20th, 2018

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य के पूर्व महाधिवक्ता व विदर्भवादी नेता श्रीहरि अणे ने कहा है कि न्यायालय में मराठा आरक्षण टिक नहीं पाएगा। हलबा आरक्षण की तरह मराठा आरक्षण का भी हाल होने वाला है। सरकार तो मराठाओं को आरक्षण देने का केवल दिखावा कर रही है। सरकार ही मराठा आरक्षण का मामला पुन: न्यायालय में जाने का इंतजार कर रही है। विदर्भ राज्य की मांग को जिस तरह से सरकार ने भुलाया उसी तरह हलबा, मराठा को आरक्षण देने के वादे को भुला दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात
हलबा समाज क्रांति सेना की ओर से गांधीबाग उद्यान के पास कामगार नेता रा.बा कुंभारे की प्रतिमा के पास 5 दिन से अनिश्चितकालीन अनशन किया जा रहा है। इसी अनशन स्थल पर आयोजित सभा में श्री अणे बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हलबा समाज को ब्रिटिशों ने ट्रायबल कहा था। जंगल से गांव और गांव से शहर में यह आदिवासी समाज आया। केवल इसलिए उन्हें गैर-आदिवासी नहीं कह सकते हैं कि वे फुलपैंट, शर्ट पहनने लगे हैं। ब्रिटिशों ने हलबाओं को आदिवासी कहा, फिर भी सरकार उनसे 50 वर्ष पुराने जाति के प्रमाण क्यों मांग रही है? कांग्रेस के समान भाजपा भी झूठी है।

श्री अणे ने हलबाओं से आह्वान किया कि शांति मार्ग से सरकार के विरोध में आंदोलन करें। कमलेश भगत जैसे नए नेतृत्व के साथ आंदोलन को गति दें। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री से भेंट कर निवेदन किया जाएगा कि वे आंदोलन स्तर पर आकर हलबा नेताओं से बात करें।

ये थे उपस्थित
सभा में राम नेवले, मुकेश समर्थ, नीरज खांदेवाले, बसपा के महेश सहारे ने भी संबोधित किए। मंच पर कमलेश भगतकर के साथ तेजिंदरसिंह रेणु, संदेश सिंगलकर, एड.हारोडे, स्वप्निल सन्याल, सुरेंद्र पारधी, अनिल जवादे, नगरसेवक प्रवीण भिसीकर, नितीन साठवणे, गंपू शर्मा, जगदीश खापेकर, प्रेमलाल भांदककर,जीजा धकाते, कमल ऋतुता, श्रीकांत तराल, श्रीकांत ढोलके, विठ्ठल महाजन व विविध संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

हिंसक हो सकता है आंदोलन
उन्होंने यह भी कहा कि पहले विदर्भ की आर्थिक कमान संभालनेवाले समाज के तौर पर हलबा की पहचान थी। किसान कपास उगाते और हलबा बुनकर कपड़ा तैयार करते थे। किसानों के जैसे ही हलबा भी कांग्रेस भाजपा के षड़यंत्र के शिकार हुए हैं। हलबा समाज की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो उनका आंदोलन हिंसक भी हो सकता है।

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