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एसटी बांट रहा ओवरटाइम भत्ता, अतिरिक्त कर्मचारी फिर भी 50 हजार का अतिरिक्त खर्च

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एसटी महामंडल के पास अतिरिक्त कर्मचारी होने के बाद भी एक महीने में 50 हजार रुपए ओवर टाइम भत्ता बांटा गया। यह केवल गणेशपेठ बस डिपो का हाल है, जिससे नागपुर विभाग में यह आंकड़ा लाखों का हो सकता है। इस तरह से ओटी भत्ता बांटने से घाटे में चलने वाली एसटी महामंडल को अधिकारी वर्ग ही चूना लगाते दिख रहे हैं।
सांठगांठ से हासिल कर रहे
कोरोना संक्रमण के पहले तक एसटी महामंडल से आना-जाना करने वाले यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा थी। जिसके चलते राजस्व भी अच्छा हासिल होता था, लेकिन कोराेना की दस्तक के बाद से एसटी बसों की फेरियां कम हो गईं। जिसके चलते यहां मौजूद ड्राइवर व कंडक्टरों की संख्या अब ज्यादा लग रही है। ऐसे में ड्राइवर व कंडक्टर को ओटी देने की जरूरत ही नहीं बनती। बावजूद इसके जून माह में 253 घंटे का ओटी दिया गया है, जो समझ से परे है। सवाल उठ रहे हैं कि सभी कर्मचारी को काम नहीं मिलने के बाद भी कर्मचारियों में ओटी बांटा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कुछ कर्मचारियों द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ कर ओटी हासिल किया जाता है। पुराने ड्राइवर व कंडक्टरों की ओटी बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में इन्हें ही ऐसी जगह भेजा जाता है, जहां उन्हें ओवर टाइम करना पड़े। इससे एसटी महामंडल को और भी ज्यादा घाटा हो रहा है।
गट क्रमांक एक के कर्मचारी खाली
एसटी महामंडल की ओर से गट क्रमांक एक के 50 से ज्यादा कर्मचारी को गत 2 साल से काम नहीं दिया जा रहा है। जिसका मुख्य कारण यह है, कि एसटी बसें पूरी तरह से नहीं चल रही हैं। अधिकारियों की मानें तो पहले से काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या इतनी ज्यादा है, कि गट क्रमांक एक के कर्मचारियों के लिए काम ही नहीं है। ऐसे में ओवर टाइम दे रहे हैं। गट क्रमांक एक के कर्मचारियों से अगर 252 घंटों का काम लिया जाता तो, मात्र 10,000 रुपए में यह काम हो जाता था, जिससे एसटी के खाते में 40 हजार रुपए बच जाते।
क्लर्क श्रेणी में 1 लाख ओटी
क्लरिकल काम करने वालों के लिए भी जमकर ओवर टाइम बांटा गया है। जून महीने में इन्हें एक लाख रुपए से ज्यादा का ओवरटाइम दिया गया है।
ओटी देना जरूरी है
ओवरटाइम देना जरूरत रही है। इसमें किसी तरह की मिलिभगत नहीं है। लंबी दूरी पर जाने वाले ड्राइवर-कंडक्टरों को उनके वेतन श्रेणी के अनुसार ओटी दिया जाता है। आम दिनों में यह आंकड़ा लाखों का होता है। -एस. आमनेरकर, डिपो मैनेजर, गणेशपेठ बस स्टैंड
Created On :   28 July 2021 1:42 PM IST