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प्रदेश के सरकारी अफसर स्पीकिंग आर्डर जारी नहीं करते

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश सरकार के सक्षम अधिकारी विभिन्न प्रशासकीय एवं अर्धन्यायिक प्रकरणों में स्पीकिंग आर्डर यानि सकारण आदेश जारी नहीं करते हैं। इस पर उच्च न्यायालय ने चिन्ता व्यक्त की है तथा राज्य के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को मेमो भेजकर स्पीकिंग आर्डर दिये जाने का आदेश दिया है। इस पर अब सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी अपर मुख्य सचिवों/प्रमुख सचिवों/सचिवों, विभागों, संभागायुक्तों, जिला कलेक्टरों तथा जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को अनिवार्य रुप से स्पीकिंग आर्डर जारी करने के निर्देश जारी किये हैं।
निर्देशों में कहा गया है कि "उच्च न्यायालय ने रिट पिटीशन क्रमांक 7120/15 श्रीमती ताराबाई विरुध्द श्रीमती शांतिबाई एवं अन्य में राज्य शासन का ध्यान आकृष्ट किया है कि जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने निर्वाचन की एक पिटीशन में प्रकरण को पहले विचारोपरान्त स्पीकिंग आर्डर जारी न करते हुये खारिज किया, तदोपरान्त न्यायालय के निर्देश देने के उपरान्त भी प्रकरण में स्पीकिंग आर्डर जारी न करते हुये एक लाईन का आदेश ""प्रकरण विचारोपरान्त अमान्य किया जाता है" पारित किया। इस पर उच्च न्यायालय ने चिन्ता व्यक्त की है
निर्देशों में आगे कहा गया है कि प्रशासकीय/अर्धन्यायिक प्रकरणों में प्रशासकीय अधिकारियों से स्पीकिंग आर्डर पारित करने की अपेक्षा की जाती है, इसलिये उक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुये निर्देशित किया जाता है कि प्रशासकीय अधिकारियों द्वारा प्रशासकीय/अर्धन्यायिक मामलों में अनिवार्य रुप से स्पीकिंग आर्डर पारित किये जायें।
ग्वालियर उच्च न्यायालय खण्डपीठ प्रिसिंपल रजिस्ट्रार जीएस दुबे का कहना है कि प्रशासकीय अधिकारियों के अलावा चनली कोर्ट भी कई बार बिना कारण स्पष्ट किये आदेश जारी कर देते हैं जोकि ठीक नहीं है, तथा इससे आवेदक को पता ही नहीं चल पाता है कि किस कारण से उनका प्रकरण अमान्य किया गया और वह फिर उच्च न्यायालय में न्याय हेतु आ जाता है। इसलिये राज्य शासन को स्पीकिंग आर्डर दिये जाने के संबंध में मेमो दिया गया है। निचली अदालतों को भी इसके बारे में कहा जाता है।
Created On :   10 Dec 2017 9:33 AM IST