प्रदेश में अब सेना को गोलाबारी अभ्यास  की अनुमति पन्द्रह साल के लिये मिलेगी

State govt has allowed Indian Army to practice firing and conduct other weapons training
प्रदेश में अब सेना को गोलाबारी अभ्यास  की अनुमति पन्द्रह साल के लिये मिलेगी
प्रदेश में अब सेना को गोलाबारी अभ्यास  की अनुमति पन्द्रह साल के लिये मिलेगी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। यह अनुमति भारत सरकार के अस्सी साल पुराने मैनोवर्स फील्ड फायरिंग एण्ड आर्टिलरी प्रेक्टिस एक्ट 1938 के तहत दी जाती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सेना के जबलपुर, होशंगाबाद, ग्वालियर, महू आदि में केंद्र बने हुये हैं। इन केंद्रों के पास गोलाबारी एवं तोपाभ्यास हेतु मैदान भी आरक्षित रखे गये हैं। अभ्यास के दौरान कोई जन-धन एवं पशु व वन की हानि न हो, इसके लिये सेना को उक्त एक्ट के तहत राज्य सरकार से विधिवत अनुमति लेना होती है। राज्य सरकार अब तक सेना को तीन साल के लिये यह अनुमति प्रदान करती थी। परन्तु अब यह अवधि पन्द्रह साल कर दी गई है ताकि बार-बार सेना को राज्य सरकार के पास आवेदन करने की विधिक आवश्यक्ता न पड़े क्योंकि सेना को चुस्त-दुरुस्त बने रहने के लिये गोलाबारी एवं तोपाभ्यास करना भी जरुरी होती है। राज्य सरकार ने ताजा अनुमति भोपाल के ईएमई सेंटर को दी है। उसे पहले 1 अक्टूबर 2015 से 30 सितम्बर 2018 तक तीन साल के लिये गोलाबारी एवं तोपाभ्यास की अनुमति मिली थी तथा अब 1 अक्टूबर 2018 से 20 सितम्बर 2033 तक पन्द्रह सालों के लिये यह अनुमति प्रदान की गई है। यह अभ्यास भोपाल जिले की तहसील हुजूर के अंतर्गत ग्राम सूखी सेवनिया जिसमें कल्याणपुर, पिपलिया एवं जाहिरपीर क्षेत्र आते हैं और जो सेना के लिये आरक्षित है, में होता है।

ये रहेंगी अभ्यास की शर्तें
सेना सुरक्षा विभाग अपनी भूमि पर ही सैन्य अभ्यास कर सकेगा। सेना सुरक्षा विभाग को एक्ट एवं मप्र सैन्य चालान मैदानी गोलाबारी तथा तोपाभ्यास नियम 1964 में दर्शाये नियमों का पालन करना होगा। एब्स्यूलूट सेफ्टीजोन के अंतर्गत दर्शाई गई भूमियों में सैन्य अभ्यास के दौरान कम से कम जन-धन हानि हो, इसका प्रयास सेना को करना होगा। अभ्यास के दौरान सार्वजनिक आवागमन बंद नहीं होगा। नियम के अनुसार जो निजी फसलें प्रभावित होंगी उनका हर्जाना सेना को अदा करना होगा। अभ्यास दिवस में आवागमन बंद किये जाने की स्थिति में आवागमन के रास्तों पर सेना का पहरा लगाकर आवागमन पूर्व से ही बंद करना होगा। बड़े-छोटे वृक्षों का वृक्षारोपण सेना को करना होगा ताकि वृक्षारोपण काम्पेक्ट बने और क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण कम हो। फायरिंग के दौरान कोई हानि पर सेना को मुआवजा देना होगा। फायरिंग रेंज के आसपास रहने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी सेना की होगी।

इनका कहना है
सेना को गोलाबारी एवं तोपाभ्यास करना जरुरी है। इसके लिये अब उन्हें बार-बार अभ्यास की अवधि बढ़ाने के लिये सरकार के पास विधिक कार्यवाही करने के लिये आना नहीं पड़ेगा। अब उन्हें तीन के बजाये पन्द्रह सालों के लिये अभ्यास की अनुमति दी जा रही है। - कमल नागर, उप सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग,

 

Created On :   29 Sep 2018 5:33 AM GMT

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