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ईंधन मूल्यवृद्धि के लिए राज्यों के टैक्स भी जिम्मेदार -प्रभु

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने माना है कि पेट्रोल-डीजल मूल्य वृद्धि मामले में अड़चन दूर करने की जरूरत है। विश्व बाजार पर ईंधन का भाव निर्भर रहता है। उन्होंने इस मामले में केंद्र के साथ राज्य सरकारों को समन्वय के साथ काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि ईंधन के भाव बढ़ने में राज्य सरकार के टैक्स भी जिम्मेदार हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट पर चर्चा चल रही है। इसी बजट को लेकर भाजपा के बड़े नेता देश भर में संवाद साध रहे हैं। इस सिलसिले में सुरेश प्रभु ने पत्रकार वार्ता में वित्तीय स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने दावा किया कि आगामी समय में भारत आत्मनिर्भर होगा।
निजीकरण से आर्थिक व्यवस्था को बल
प्रभु ने कहा कि निजीकरण से आर्थिक व्यवस्था को बल मिलता है। हाथ पैर बांधकर रेस कैसे जीत सकते हैं। लाभ में काम कर रहे उद्योगों को अधिक बल देने व अनावश्यक पाबंदियां दूर करने की आवश्यकता है। सार्वजनिक उपक्रम के निजीकरण की सूची तैयार की जा रही है। 6-7 दशक पहले निजी क्षेत्र में निवेश की स्थिति नहीं थी। पहले सार्वजनिक उपक्रम की तुलना में निजी क्षेत्र का उल्लेखनीय कार्य रहा। स्टील अथाॅरिटी ऑफ इंडिया से अधिक लोहे का उत्पादन निजी कंपनियां कर रही हैं। बिजली निर्माण के संबंध में भी ऐसी ही स्थिति है।
प्रश्न से किनारा कर गए प्रभु
शिवसेना के रहे प्रभु से महाविकास आघाड़ी सरकार व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कामकाज के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे होते, तो वे ही इस मामले में उत्तर देते। पत्रकार वार्ता में राज्यसभा सदस्य डॉ. विकास महात्मे, भाजपा के शहर अध्यक्ष प्रवीण दटके, विधान परिषद सदस्य गिरीश व्यास, प्रदेश प्रवक्ता चंदन गोस्वामी, मिलिंद कानडे, योगेश बन, जयप्रकाश पारेख, आशीष मुकीम सहित अन्य पदाधिकारी थे।
बुनियादी सेवाओं पर जोर
सुरेश प्रभु ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट के माध्यम से बुनियादी सेवाओं पर जोर दिया है। देश में 70 प्रतिशत ईंधन आयात किया जाता है। बुनियादी सेवाओं, स्वास्थ्य व शिक्षा आदि के लिए निधि की आवश्यकता होती है। यह निधि केंद्र के ‘कर’ के माध्यम से उपलब्ध होती है। ईंधन ‘कर’ जीएसटी के अंतर्गत नहीं है। केंद्र व राज्य सरकार के स्वतंत्र ‘कर’ है। ईंधन के मामले में केंद्र व राज्य सरकार ने एकत्र होकर काम करना चाहिए। बैंकिंग व्यवस्था आर्थिक व्यवस्था का मुख्य आधार है। बैंकिंग व्यवस्था में सुधार का प्रयास किया जा रहा है। देश के एक क्षेत्र में अतिवृष्टि तो दूसरे क्षेत्र में सूखे की स्थिति आज भी है।
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।