यहां भगवान कर रहे भक्तों का इंतजार, तीन महीने से कोई लेने नहीं आया

Statue of God waiting for devotees, no one came for three months
यहां भगवान कर रहे भक्तों का इंतजार, तीन महीने से कोई लेने नहीं आया
यहां भगवान कर रहे भक्तों का इंतजार, तीन महीने से कोई लेने नहीं आया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के सुभाष रोड स्थित बाल भवन में अनेक देवी-देवताओं और संत-महापुरुषों को उनके भक्तों का इंतजार है, लेकिन पिछले तीन महीने से उन्हें लेने कोई नहीं आया। यहां एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में प्रतिमाएं रखी गई हैं। धार्मिक अतिक्रमण हटाने के दौरान मनपा ने इन प्रतिमाओं को यहां रखा है। प्रतिमाओं के समूह के पीछे हरेक जोन के नाम की पर्ची लगायी गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शहर में 1504 अनधिकृत धार्मिक स्थलों को चिह्नित कर उन्हें हटाने का निर्णय लिया गया था। सभी जोन ने अपने-अपने क्षेत्र में कार्यवाही की। मनपा को 1182 और नासुप्र को 422 धार्मिक स्थल हटाने थे। नासुप्र ने अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत आने वाले सभी स्थलों को हटा दिया है। वहीं मनपा ने भी 90 फीसदी से अधिक स्थानों से अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटा दिया है। 

2006 से विरोध, मनपा ने किया विलंब
धार्मिक अतिक्रमण का विरोध वर्ष 2006 से हो रहा है। कुछ समय पहले उच्च न्यायालय ने नागपुर शहर से अनधिकृत धार्मिक स्थल हटाने की कार्रवाई करने का निर्णय दिया था। राज्य सरकार ने 5 जून 2011 को एक अधिसूचना जारी की थी। इसके अनुसार नागपुर शहर में अनधिकृत धार्मिक स्थल हटाने का निर्देश दिया। इसके लिए मनपा को एक समिति बनाने को कहा गया था। मनपा में एक समिति भी बनायी गई थी। 15 जनवरी 2014 को तत्कालीन मनपा आयुक्त श्याम वर्धने और मनपा समिति के बीच बैठक हुई। उस समय अनधिकृत धार्मिक स्थल हटाने का प्रस्ताव मंजूर किया गया था। इसके बाद यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था। धार्मिक स्थल जनभावनाओं से जुड़ा विषय होने से मनपा ने इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखायी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शहर में यातयात के लिए समस्या बने अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाने का काम चल रहा है। शहर के 1504 धार्मिक स्थलों को चिह्नित किया गया है। इनमें से 422 स्थल नागपुर सुधार प्रन्यास और 1182 स्थल नागपुर महानगर पालिका के कार्यक्षेत्र में हैं। नासुप्र के अनुसार उनके कार्यक्षेत्र में आने वाले सभी स्थलों को तोड़ दिया गया है। वहीं मनपा द्वारा कार्रवाई अंतिम चरणों में है। अलग-अलग कारणों से 17 धार्मिक स्थलों को ‘अ’ वर्ग में रखा गया है। इन्हें नियमितिकरण प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। जिन धार्मिक स्थलों को हटाया गया वे ‘ब’ वर्ग में शामिल थे। जिन धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया, उससे पहले वहां के देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की विधिवत पूजा-पाठ की गई। इसके बाद संबधित समिति या व्यक्ति की इच्छा होने पर उन्हें सौंप दी गई। जो प्रतिमाएं कोई ले नहीं गया उन्हें मनपा के एक भवन में रख दिया गया। ये वे प्रतिमाएं हैं, जिनके बारे में मनपा को आश्वासन मिला है कि ये प्रतिमाएं उचित स्थान पर स्थापित की जाएंगी। यह आश्वासन संबंधित मंदिर समितियों ने दिया है। तीन महीने से अधिक समय से इन देवी-देवताओं को अब अपने भक्तों का इंतजार है। 

छह महीने टाउन प्लानिंग में अटकी अब आयुक्त की मंजूरी का इंतजार
सरकार और जिला प्रशासन हर साल अनेक योजनाओं की घोषणा करते हैं। कुछ योजनाओं पर अमल होता है तो कुछ फाइलों में ही दम तोड़ देती हैं। कुछ योजनाओं पर अधिकारियों की उदासीनता का ग्रहण लग जाता है। नंदग्राम पशु निवारा योजना ऐसी ही योजनाओं में से एक है। पिछले पांच साल से यानि 2013 से इस योजना की रूपरेखा तैयार हो रही है, लेकिन अब तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। इस योजना के सभी पहलुओं को मंजूरी मिल चुकी है। पिछले छह महीने से इस योजना का नक्शा मंजूर करने के लिए फाइल टाउन प्लानिंग के पास पड़ी थी। विभाग की उदासीनता के चलते इस फाइल को आगे बढ़ने में लंबा समय लगा है। अब यह फाइल मनपा आयुक्त कार्यालय में मंजूरी के लिए भेजी गई है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद योजना पर आगे का काम शुरु किया जाएगा। मौजा वाठोडा की 44 एकड़ जमीन पर 25 करोड़ की लागत से नंदग्राम पशु निवारा योजना साकार की जाने वाली है। यहां 4680 गोवंशों को रखने के लिए 468 शेड बनाए जाने वाले हैं। एक शेड में 10 गोवंश रह सके ऐसे कटघरे बनाए जाएंगे। बाद में इसे पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के आधार पर गोपालकों को दिया जाएगा। योजना पर पूरा खर्च मनपा करेगी।

 


 

Created On :   24 Feb 2019 7:08 PM IST

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