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आरक्षण को लेकर विधानमंडल में हंगामा, आयोग की रिपोर्ट पेश करने पर अड़ा विपक्ष

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग और धनगर आरक्षण पर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीस) की रिपोर्ट सदन में रखने की मांग को लेकर सोमवार को भी विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा जारी रहा। विपक्षी सदस्यों के हंगामें के चलते विधानसभा की कार्यवाही पांच बार जबकि विधान परिषद की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी विपक्षी सदस्य जब अपनी मांगों पर अड़े रहे तो दोनों सदनों की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने सोमवार को एक बार फिर मराठा, धनगर और मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला।
विखेपाटील ने सवाल किया कि सरकार सदन में रिपोर्ट पेश करने से क्यों डर रही है। राकांपा के अजित पवार ने कहा कि सरकार सरकार मराठा सकल मोर्चा से जुड़े लोगों की धर पकड़ कर रही है। आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है। अजित पवार ने कहा कि हमें जानकारी मिल रही है कि रिपोर्ट का मराठी अनुवाद अभी तैयार नहीं है। लेकिन हमें इससे कोई परेशानी नहीं है सरकार चाहे तो अंग्रेजी रिपोर्ट सदन में पेश कर सकती है।
हंगामें के बीच बिना चर्चा के पास हुईं पूरक मांगे
आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामें के बीच राजस्व व वन विभाग, सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग और उद्योग, ऊर्जा व कामगार विभाग की पूरक मांगे ध्वनिमत से स्वीकार कर ली गईं। दरअसल प्रश्नकाल के बाद पूरकमांगों पर चर्चा के लिए विपक्ष को आमंत्रित किया गया। विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने विपक्षी सदस्यों से पूरक मांगों पर चर्चा की अपील की लेकिन विखेपाटील और दूसरे सदस्य पहले आरक्षण पर रिपोर्ट सदन में पेश करने की मांग पर अड़े रहे। इसके बाद शोरशराबे के बीच बिना चर्चा के ही पूरकमांगे पारित कर दी गईं। बाद में राकांपा के गटनेता जयंत पाटील ने इस पर आपत्ति जताई और पूरक मांगे वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि 20 हजार करोड़ की पूरक मांगे बिना चर्चा के स्वीकार किया जाना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
बगैर चर्चा के पूरक मांगे पारित करना गलतः चव्हाण
पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज चव्हाण ने भी बिना चर्चा पूरक मांगे स्वीकार करने का विरोध किया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री गिरीश बापट ने कहा कि चर्चा के लिए आमंत्रित करने के बावजूद विपक्षी सदस्य इस पर नहीं बोले अब इसे वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन मंगलवार को दूसरी पूरक मांगों पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्य इन मांगों पर भी अपनी बात रख सकतें हैं सरकार की ओर से इसका जवाब दिया जाएगा।
अमित शाह के बयान के बाद मुस्लिम आरक्षण पर रुख स्पष्ट करे सरकारः नसीम खान
कांग्रेस के नसीम खान ने कहा कि पिछड़ेपन के आधार पर पिछली सरकार ने मुस्लिम समाज को आरक्षण दिया था। शिक्षा में आरक्षण को अदालत ने भी स्वीकार किया था। हम धर्म के आधार पर आरक्षण की मांग नहीं कर रहे हैं लेकिन पिछड़ेपन के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेलंगाना में बयान दे रहे हैं कि हम मुस्लिम समाज को आरक्षण नहीं देने देंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। नसीम खान ने कहा कि सरकार चाहती है कि हम मराठा आरक्षण पर चर्चा करें। लेकिन नियमों के मुताबिक आयोग की रिपोर्ट एक्शन टेकिंग रिपोर्ट (एटीआर) के साथ सरकार को सदन में पेश करना चाहिए।
बिना रिपोर्ट के हम किस आधार पर चर्चा करें। अजित पवार ने भी मुस्लिस समाज को आरक्षण दिए जाने की मांग की। इससे पहले विधानसभा में राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने कहा कि हम धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध करते हैं यह किसी राज्य में कानून के सामने नहीं टिक पाया है। पिछड़े वर्ग के मुसलमानों के अब भी आरक्षण मिलता है। अगर किन्ही जातियों को इनमें समावेश किया जाना है तो सरकार इस पर विचार कर सकती है।
...नहीं निकला हल
अपनी मांगों को लेकर विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने वेल में बैठ गए। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री गिरीष बापट ने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे कामकाज सुचारु रूप से चलने दे। गतिरोध का हल निकालने के लिए विपक्षी सदस्यों के साथ सरकार ने केबिन में बैठक की लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद हंगामें के बीच कुछ बिल पारित कर कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
Created On :   26 Nov 2018 7:09 PM IST