विवाह समारोह में सख्ती : 3 घंटे में पूरे नहीं हो पा रहे हैं 7 फेरे

Strictness in marriage ceremony: 7 rounds are not able to be completed in 3 hours
विवाह समारोह में सख्ती : 3 घंटे में पूरे नहीं हो पा रहे हैं 7 फेरे
विवाह समारोह में सख्ती : 3 घंटे में पूरे नहीं हो पा रहे हैं 7 फेरे

डिजिटल डेस्क, नागपुर । अनलॉक के बीच नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है। कोरोना के नए वायरस से संक्रमण की आशंका में फिर कुछ पाबंदियां लगाई गईं हैं। विवाह समारोह का समय भी निर्धारित किया गया है। नई गाइडलाइन के मुताबिक अब विवाह समारोह 3 घंटे में संपन्न कराना होगा। वैदिक विवाह पद्धति के जरिए विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के मुताबिक व्यावहारिक रूप से यह समय नाकाफी है। रीति-रिवाज से विवाह कराना हो तो कम से कम 7 से 10 घंटे चाहिए होते हैं। इसके बाद भी कई तरह के कार्यक्रम संपन्न कराने पड़ते हैं। कुल मिलाकर एक विवाह समारोह में पूरा दिन लग जाता है। लोगों का सवाल है कि एक तरफ आए दिन हो रहे राजनैतिक आयोजनों में सड़कों पर भीड़ जमा हो रही है, उस पर कार्रवाई नहीं की जाती। तो फिर आम आदमी के लिए जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण आयोजन में ही यह पाबंदी क्यों? 

ऐसे में नियम तो टूटना तय है.... पंडित श्रद्धानंदन शास्त्री के मुताबिक विवाह के दौरान अनेक प्रकार की औपचारिकताएं पूर्ण करनी होती हैं। वरपक्ष बारात लेकर विवाह मंडप में पहुंचते हैं। बारात में तकरीबन 1 घंटा नाच-गाना चलता है। इसके बाद विवाह मंडप के द्वार पर बारातियों के स्वागत में 10 मिनट बीत जाते हैं। वधू-पक्ष की आेर से वर को उपहार आदि भेंट करने का रिवाज है। इसमें तकरीबन 30 मिनट लगते हैं। इसके बाद, गौरी-गणेश पूजन, वरमाला, कन्यादान, सप्तपदी (भांवर) हवन-पूजन मंत्रोच्चार भोजन, विदाई आदि में तकरीबन 5 घंटे का समय लगता है।  शीघ्रता भी करें तो रीति-रिवाज का पालन करते हुए 3 घंटे में विवाह संपन्न कराना बेहद मुश्किल है। कुल मिलाकर नियम टूटना तय है।

कुछ ढील की गुंजाइश होनी चाहिए : शासन के निर्देश का पालन कर शार्टकट तरीके से विवाह संपन्न करना पुरोहितांे के मुताबिक सही नहीं है। यजमान भी असंतुष्ट रहते हैं। एेसे में शासन का यह निर्णय अव्यावहारिक जान पड़ता है। समय की पाबंदी में कुछ ढील की गुंजाइश होनी चाहिए। दूसरी पाबंदी के तहत समारोह में अधिकतम 50 लोगों को ही शामिल करने के निर्देश हैं। लोगों का तर्क है कि वर-वधू पक्ष के परिजनों की संख्या ही 100 से ऊपर चली जाती है। ऐसे में विवाह समारोह में  गाइडलाइन का पालन नहीं हो पाएगा।

यह हैं व्यावहारिक परेशानियां : विवाह समारोह में वर-वधू पक्ष के अलावा भी कुछ लोगों को शामिल किया जाता है। बारात में बैंड-बाजे वाली टीम बारातियों के स्वागत सत्कार, भोजन आदि का प्रबंध करने के लिए कैटरिंग सर्विस की टीम, मंडप की सजावट करनेवाला दल, मेहंदीसाज, मेकअप आर्टिस्ट आदि लोगों को नियुक्त किया जाता है। यह टीम ही कम से कम से 30 से 40 लोगों की हो जाती है। वर पक्ष द्वारा बारात में कम से कम 100 लोग होते ही हैं। विवाह के मौके पर कन्या पक्ष में परिजनों की संख्या ही 50 के पार पहुंच जाती है। इस प्रकार एक विवाह समारोह में कम से कम 100 से 200 लोग शामिल होते हैं।

Created On :   28 Jun 2021 12:03 PM IST

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