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नीम के पेड़ के नीचे विद्यार्थी पढ़ रहे नैतिकता का पाठ

डिजिटल डेस्क, अमरावती। माता-पिता ने कभी स्कूल नहीं देखी और न ही शिक्षा प्राप्त की। उनके बच्चे दर-दर भटकते अपना जीवन व्यतीत करते हैं। एक समय का भोजन भी नसीब नहीं होता। घुमंतू बच्चों की स्थिति को देखते हुए घुमंतू समाज की ही एक पढ़ी लिखी युवती निकिता पवार ने अपने समाज के बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने का लक्ष्य रखा है। अमरावती शहर से 10 किलोमीटर दूरी स्थित राजुरा गांव के परिसर में खुली जगह पर एक नीम के पेड़ के नीचे निकिता पवार इन बच्चों काे नैतिकता की शिक्षा दे रही है। साथ ही यहां पर आने वाले बच्चों को एक समय का भोजन भी दिया जाता है। भोजन मिलने की आस में घुमंतू परिवार के माता-पिता भी अपने बच्चों को शाला में भेजने में रुचि ले रहे हैं। करीब 40 से 50 बच्चे शिक्षा का लाभ उठा रहे हंै।
सितंबर 2021 से स्कूल न जाने वाले बच्चों के लिए निकिता के एनजीओ ने शाला शुरू की। इस कार्य में उन्हें 11 लोगों का सहयोग मिल रहा है। हर शिक्षक एक दिन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं। यहां पर दो बस्ती के बच्चें शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जिनमंे वडाली व राजुरा का समावेश है। सभी बच्चों को आटो से लाया जाता है और उत्तम संस्कार और नैतिकता के पाठ दिए जाते हंै। घुमंतू समाज के बच्चे भी पढ़ लिखकर कुछ बने तथा अपना भविष्य संवारे, इसके लिए जनजागरण भी किया जा रहा है। निकिता ने बताया कि शालाबाह्य बच्चों को तथा हिंदू समाज के बच्चों को शिक्षा देने के लिए सामाजिक न्याय भवन में समतादूत के रूप में की जानेवाली नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़कर इन बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया। निकिता ने इस कार्य में समाज के विविध समूहों द्वारा सहायता मिलने से काम करने की ऊर्जा भी बढ़ गई है।
Created On :   23 Feb 2022 7:34 PM IST