जर्जर शाला भवन में जान का खतरा , पेड़ के नीचे लग रही कक्षाएं

Students of the village Kosamtola are sitting under the tree and learning
जर्जर शाला भवन में जान का खतरा , पेड़ के नीचे लग रही कक्षाएं
जर्जर शाला भवन में जान का खतरा , पेड़ के नीचे लग रही कक्षाएं

 डिजिटल डेस्क, शहडोल। शिक्षा की बेहतरी के लिए संसाधनों की उलब्धता पर जोर दिया जा रहा है। नए भवन निर्माण के साथ रंगाई-पोताई आदि के लिए लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जिले के दूरांचल जैतपुर ब्लाक मुख्यालय अंतर्गत कोसमटोला स्थित शासकीय विद्यालय के बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अगस्त के महीने में स्कूल भवन की मुख्य दीवार भर भराकर गिर गई थी। आज भी उसी हालत में हैं। मेन दीवार गिरने के कारण बाकी भवन जर्जर हो गया है, ऐसे में उसमें बैठाना बच्चों की जान के लिए खतरा बन सकता है। मजबूरी में शिक्षकों को बच्चों को बाहर बैठाना पड़ता है। ठण्ड के दिनों में तो ठीक है कि धूप में बच्चों को परेशानी नहीं होती, लेकिन इसके बाद दिक्कत हो सकती है। शासकीय प्राथमिक विद्यालय कोसमटोला में 37 ग्रामीण विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जिनके लिए बैठने की समस्या उत्पन्न हो गई है। बरसात के महीने में दीवार गिरी थी, उसके बाद जर्जर भवन में ही बच्चों को बैठाया जाता था। संकुल जैतपुर की ओर से वरिष्ट अधिकारियों को सूचित किया गया था।

सामने आई हीलाहवाली
कोसमटोला में स्थानीय ग्रामीण बच्चे ही अध्ययन करने आते हैं। स्कूल भवन   वर्ष 2003 मेें बनकर तैयार हुआ था। जिसकी दीवार गिरने के समय ही संकुल स्तर से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया था। लेकिन अधिकारियों ने कोई सुध नहीं लिया। यह कहा गया कि विद्यालय किसी और जगह लगा लें, लेकिन इसके आसपास कोई शासकीय भवन नहीं। निजी भवन में लगाने के लिए किराया कहां से आएगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं। अधिकारियों की हीलाहवाली देखकर लग रह है कि बच्चों की चिंता इन्हें नहीं है।

और भी समस्याएं हैं
यह ग्रामीण विद्यालय तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहा है। विद्यालय में खेल मैदान तो है, लेकिन बाउण्ड्रीवाल नहीं है। जिसके कारण बाहरी लोगों व मवेशियों की धमाचौकड़ी रहती है। पीने के पानी के लिए बच्चों को परेशान होना पड़ता है। यहां लगा हैण्डपंप बिगड़ा हुआ है। जिसे सुधारने के लिए पहल नहीं हुई। यह बताया गया है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी है। एक अतिथि शिक्षक है। जिसके भरोसे स्कूल चल रहा है। नियमित शिक्षक टाइम से स्कूल नहीं आते। साथ ही बच्चों को मीनू के अनुसार मध्यान्ह भोजन नहीं मिलता।

इनका कहना है
विद्यालय भवन गिरने की जानकारी है। मरम्मत के लिए राशि मंजूर की जा चुकी है, तब तक दूसरे भवन में कक्षा संचालन के लिए कहा गया था। -डॉ. मदन त्रिपाठी, डीपीसी

Created On :   3 Dec 2018 8:44 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story