सुदामा चरित्र जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है: पंडित कृष्ण चैतन्य

Sudama character teaches to face difficulties in life
सुदामा चरित्र जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है: पंडित कृष्ण चैतन्य
पवई सुदामा चरित्र जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है: पंडित कृष्ण चैतन्य

डिजिटल डेस्क पवई नि.प्र.। मां कलेही की पावन नगरी पवई में लक्ष्मी नारायण मंदिर बागरन टोला के पास सन्यासी आश्रम श्री लक्ष्मी वाटिका मेंं नगायच परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन बुधवार को कथा वाचक पंडित कृष्ण चैतन्य जी ने सुदामा चरित्र व सुखदेव विदाई का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए। मित्र एक दूसरे का पूरक होता है। भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी को देखकर रोते हुए अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें उलाहना दिया कि जब गरीबी में रह रहे थे तो अपने मित्र के पास तो आ सकते थे लेकिन सुदामा ने मित्रता को सर्वोपरि मानते हुए श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा। उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा। अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया। कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रोता मौजूद थे। कथा वाचक पंडित कृष्ण चैतन्य ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण से मन आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है। भागवत में बताए उपदेशों उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है। सुदामा चरित्र के प्रसंग में कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है। मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करेएजो कि मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका सहयोग दे। 

Created On :   8 Dec 2022 4:59 PM IST

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