महिला सैन्य अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ACRs का तरीका भेदभावपूर्ण

Supreme Court shocks army in case of permanent commission to women military officers
महिला सैन्य अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ACRs का तरीका भेदभावपूर्ण
महिला सैन्य अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ACRs का तरीका भेदभावपूर्ण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा हमारे समाज की संरचना पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिए बनाई गई है और अगर यह नहीं बदलता है तो महिलाओं को समान अवसर नहीं मिल पाएगा। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह एक महीने के भीतर महिला सेना अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) देने पर विचार करें और तय प्रक्रिया का पालन करने के बाद 2 महीने के भीतर पीसी को अनुमति प्रदान करें।

पिछले साल फरवरी में अपने एक ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि सेना में महिला अधिकारियों को उनके पुरुष समकक्षों के साथ स्थायी कमीशन दी जाए। साठ महिला अधिकारियों ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया कि सेना में उन्हें शेप-1 फिटनेस में विफल रहने के आधार पर पीसी से वंचित कर दिया गया है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने माना कि सेना के चयनात्मक एसीआर मूल्यांकन और शेप-1 मानदंड का देर से क्रियान्वयन पीसी की मांग करने वाली महिला अधिकारियों संग भेदभाव करती है और उन्हें असंगत रूप से प्रभावित करती है। शीर्ष अदालत ने अप्रत्यक्ष रूप से महिला अधिकारियों संग भेदभाव करने के लिए सेना की आलोचना की और कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रोशन करने वाली महिला अधिकारियों की अनदेखी की गई है।

Created On :   25 March 2021 10:48 AM GMT

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