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उमरेड-करांडला अभयारण्य में सूर्या का दबदबा , अन्य बाघों ने बदली राह

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उमरेड-करांडला अभयारण्य में सूर्या (टी-9) बाघ का एकछत्र राज शुरू हो गया है। जैसे ही उसने जंगल में प्रवेश किया दो बाघों टी-7 और टी-6 ने अपना निवास स्थान बदल लिया। धीरे-धीरे बाघिनों से उसकी दोस्ती बढ़ी। अब तो पांच वर्षीय सूर्या के डर से अन्य बाघ उस जंगल में जाने की हिम्मत नहीं करते। कॉलर वाली बाघिन के नाम से जानी जान वाली टी-1 का साथी बाघ टी-7 जनवरी में जंगल छोड़कर चला गया। इधर, ‘जय’ के बाद ताकतवर सूर्या की दोस्ती गोठनगांव की टी-3 बाघिन से हुई। इसके बाद सूर्या ने टी-1 बाघिन से दोस्ती की। टी-1 बाघिन के टी-7 बाघ से तीन शावक हैं। इसके पूर्व टी-1 बाघिन के दो शावक मृत अवस्था में पाए गए थे। अंदाजा लगाया जा रहा था कि इन दोनों शावकों को सूर्या ने ही मारा होगा।
सूर्या के कारण टी-6 ने किया घूमना बंद
उमरेड-करांडला के जुड़े जंगल में मौजूद टी-6 बाघ और टी-5 बाघिन की जोड़ी थी। इस जोड़ी को दो नर शावक भी हुए। पहले यह बाघ करांडला में घूमता नजर आता था, लेकिन सूर्या के आने के बाद नजर नहीं आ रहा है। उमरेड-करांडला जंगल में सूर्या का एकछत्र राज चल रहा है।
रितुराज ने सूर्या के अनुभवों को किया साझा
सिर्फ इंसान ही नहीं जानवरों को भी अपनी जगह बनाने के लिए फाइट करनी पड़ती है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर सूर्या टाइगर की कहानी स्वाबलंबी नगर निवासी रितुराज जायसवाल ने साझा की। रितुराज ने बताया कि सूर्या आज 5 वर्ष का है, जिसका जन्म ताड़ोबा में हुआ था। सूर्या की मां का नाम माया है। 2019 में सूर्या के पिता ने उसके साथ लड़ाई की। वह उसे ताड़ोबा में नहीं रहने देना चाहता है। आखिरकार सूर्या जंगल के रास्ते लड़ते-झगड़ते निकला और उसने ‘जय’ बाघ के क्षेत्र उमरेड के करांडला में परिवार बसा लिया।
बाघिन देने वाली है शावकों को जन्म : करांडला आने के बाद एक बाघिन से 2019 में सूर्या के 4 शावक हुए। उसके बाद एक अन्य बाघ से सूर्या की घनघोर लड़ाई हुई। अंत में सूर्या उस बाघ को मारकर वर्चस्व स्थापित करने में सफल रहा। सूर्या की बाघिन दिसंबर में शावकों को जन्म देने वाली है। करांडला में जय की जगह सूर्या ने ली है। वह अपने परिवार के साथ रह रहा है।
Created On :   29 July 2021 11:28 AM IST