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बाघ की फांसी के फंदे से संदिग्ध मौत, शिकार की आशंका

डिजिटल डेस्क पन्ना। पन्ना में एक युवा नर बाघ की पेड़ में लगे फंदे से फांसी लगने से संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला प्रकाश में आया है। शायद देश की यह पहली घटना होगी जब एक बाघ द्वारा फांसी के फंदे पर लटकने से मौत हुई हो। प्रथम दृष्टया यह शिकार का मामला प्रतीत होता है। हो सकता है किसी शिकारी ने किसी वन्य प्राणी के लिए फंदा लगाया हो और बाघ इसमें फंसकर मर गया हो। देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि बाघ का शव चार से पांच दिन पुराना है। हालांकि घटना की सूचना वन विभाग को ०6 दिसंबर की शाम को मिल गई थी और मामले को पूरी तरह से छुपाने और दबाने का प्रयास किया गया। वन विभाग की टीम रातभर जंगल में सर्चिंग करती रही पर अभी तक कुछ पता नहीं चला। इस संदिग्ध मामले की वन विभाग जांच करने में जुट गया है। उत्तर वन मंडल के पन्ना रेंज अंतर्गत विक्रमपुर की तिलगवा बीट में फांसी के फंदे से लटके मिले इस बाघ के शव के मिलने से हडक़ंप मच गया है।
यह सुनने में बडा ही आश्चर्यचकित करने वाला लगता है कि जब किसी बाघ की फांसी लगने से मौत हुई है। इस संबंध में सीसीएफ छतरपुर संजीव झा पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश भी दिए। घटना के संबंध में जानकारी देते हुए सीसीएफ छतरपुर श्री झा ने बताया कि यह प्रारंभिक रूप से शिकार का मामला लग रहा है। हम सभी पहलुओं पर जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसटीएफ को यह मामला सौंप रहे हैं। इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ मामलों से जुड़े डॉ. संजीव गुप्ता, टाइगर रिजर्व का डॉग स्कवाड और सतना जिले का डाग स्कवाड भी बुलाया गया है। सभी मामले की जांच में लगे हुए हैं। वहीं टाइगर रिजर्व के डॉक्टर संजीव गुप्ता सुबह मौके पर पहुंचे और पूरे पहलुओं की जांच करते हुए उन्होंने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया और मौत के कारणों को जानने का प्रयास किया कि आखिर बाघ की मौत कैसे हुई है और शिकार किया गया है यह किस तरह से हुआ है।
मामले को छुपाने की कोशिश
बाघ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और शिकार के इस सनसनीखेज मामले को वन विभाग के अधिकारियों ने बहुत छिपाने की कोशिश की। यहां तक कि मीडियाकर्मियों को मौके तक नहीं जाने दिया और जब पहुंचे तो इसके पहले तार के फंदे को काट दिया गया था और बाघ को नीचे उतार लिया गया। बाघ का शव पीछे से सड़ गया था और भीषण दुर्गंध उठ रही थी। टाइगर रिजर्व को आखिर इतनी देरी से इस घटना की सूचना लगी यह दुख का विषय है।
पूर्व में भी हुई है बाघों की संदिग्ध मौतें और शिकार
बाघ के शिकार का यह पहला मामला नहीं है कई बाघों का पूर्व में भी इसी तरह शिकार हुआ है। ऐसा ही पूर्व में ०2 वर्ष के युवा बाघ के साथ हुआ जो पन्ना के ही उत्तर बन मंडल में मारा गया था। इससे पहले एक बाघ की चित्रकूट में मझगवां में शिकार कर गायब करने की कोशिश की गई थी। इसी तरह कुछ दिन पूर्व हीरा-मोती में से एक बाघ को सिंहपुर के पास मारा गया। इस तरह कई घटनाएं हैं जो पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ कोर एरिया से बाहर गए उनका शिकार कर लिया गया। अब इस बाघ की जंगल में संदिग्ध मौत शिकारियों की मौजूदगी की ओर इशारा कर रही है जो बेहद चिंता का विषय है। पन्ना टाइगर रिजर्व वर्ष 2009 में बाघ पूरी तरह से खत्म हो गए थे। ०4 मादा एवं एक नर बाघ को कान्हा बांधवगढ़ और पेंच टाइगर रिजर्व से लाकर यहां बसाया गया था जिससे बाघों की संख्या बढक़र 50 से अधिक हो गई थी। अब यही बाघ पन्ना के जंगलों से बाहर जा रहे हैं और उनका शिकार हो रहा है जो गंभीर चिंता का विषय है। इस तरह बाघों के शिकार होने से बाघों के बढते हुए कुनबे को किसी की नजर लगती जा रही है। अभी हाल ही में एक बाघ के माथे में चोट और घाव होने की जानकारी सामने आई थी जिसका ०2 दिन पूर्व इलाज किया गया है। अब एक बाघ का इस तरह शिकार गंभीर चिंता का विषय है। यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब कहीं पन्ना फिर से बाघ विहीन न हो जाये।
Created On :   8 Dec 2022 4:41 PM IST