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अदालत आकर समय नष्ट कर रहे शिक्षक, बच्चों की पढ़ाई में खर्च कर सकते हैं यह टाईमः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य भर में शिक्षकों की मुकदमेबाजी को खत्म करने की दिशा में राज्य सरकार को जरुरी कदम उठाने को कहा है। क्योंकि हाईकोर्ट की नागपुर,औरंगाबाद व मुंबई की खंडपीठ में शिक्षक ,शिक्षकेत्तर कर्मचारियों व राज्य सरकार के बीच जारी मुकदमे की संख्या हजारों में पहुंच गई है। कोर्ट ने कहा यह अच्छी स्थिति नहीं है। क्योंकि इसमें सरकार अपने बचाव में काफी पैसे खर्च करती है और शिक्षक कोर्ट आकर अपना समय नष्ट करते हैं। जिसका इस्तेमाल वह बच्चों की पढ़ाई के लिए कर सकते हैं। वहीं राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया है कि इस स्थिति को बदलने के लिए एक अध्ययन समूह बनाया जाएगा। जो इस पूरे मामले को देखेगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि शिक्षक अपने तबादले, कैरियर प्रोग्राम स्किम के लाभ (आश्रम स्कूल), लाइब्रेरियन अपनी सेवा, श्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार पाने वाले अध्यापक इंक्रीमेंट की मांग व गैर अनुदानित से अनुदानित वर्ग में स्थानांतरण के लिए सेवा स्वरुप में बदलाव जैसे विषयों को लेकर शिक्षक कोर्ट आते हैं। जबकि अदालत ने अपने पुराने आदेशों के जरिए ऐसे मामलों का निपटारा पहले ही कर दिया है। फिर भी शिक्षा अधिकारियों को जरुरी आदेश जारी नहीं किए जाते हैं। जिससे शिक्षा अधिकारी हर बार एक ही तरह का आदेश जारी करते हैं और कोर्ट को अपने पुराने आदेश के आधार पर शिक्षा अधिकारी के निर्णय को रद्द करना पड़ता है। क्योंकि यदि कोर्ट के आदेश को तय समय सीमा के भीतर चुनौती नहीं दी जाती है तो वह सरकार के लिएअनिवार्य हो जाता है।
एक ही विषय पर बार-बार दायर हो रहे मुकदमे
न्यायमूर्ति नितीन जामदार व न्यायमूर्ति सी वी भडंग की खंडपीठ ने कहा कि एक ही विषय पर बार बार याचिकाओ का दायर होना अनावश्यक मुकदमेबाजी को बढ़ावा देता है। इसमें शिक्षक व सरकार दोनों के पैसे व समय बरबाद होते हैं और अदालत में भी मामले बढ़ते हैं। पूरे राज्य भर में सिर्फ हाईकोर्ट में शिक्षक व सरकार के बीच चल रही याचिकाओ की संख्या हजारों में पहुंच गई। जो कि सामाजिक व आर्थिक रूप से ठीक नहीं है।
अध्ययन समूह बनाएगी सरकार
खंडपीठ की इन बातों को सुनने के बाद राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि सरकार इस मामले को देखने के लिए एक अध्धयन समूह बनाएगी। जो हाईकोर्ट की नागपुर, औरंगाबाद व मुंबई खंडपीठ में शिक्षकों के प्रलंबित मामलों का अध्ययन करेगी। खास तौर से यह समूह इस बात को देखेगा की शिक्षक किस तरह के मुकदमे बार-बार दायर कर रहे हैं। इसके बाद अध्ययन समूह से सुझाव लिए जाएंगे। राज्य के महाधिवक्ता की बातों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में क्या प्रगति हुई है। इसकी जानकारी हमें अगली सुनवाई के दौरान दी जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 26 अप्रैल 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   3 April 2021 6:17 PM IST