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डाक्टरों की टीम ने 90 किमी की दूरी से की व्यवस्था, जच्चा-बच्चा स्वस्थ

डिजिटल डेस्क,अमरावती। मेलघाट के धारणी तहसील के साद्राबाड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उस समय हड़कंप मच गया जब एक आदिवासी गर्भवती महिला का हीमोग्लोबिन केवल 6.4 तक जा पहुंचा था। सिजेरियन ऑपरेशन करने की जरूरत थी और रिस्क बहुत ज्यादा बढ़ गया था। वहीं परेशानी यह थी कि महिला का ब्लड ग्रुप ‘बी’ था जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं था। डॉक्टरों ने उसे अमरावती स्थित जिला स्त्री अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए रेफर कर दिया लेकिन महिला और उसका पति उसे शिफ्ट करने के लिए राजी नहीं हुए। लिहाजा चिकित्सकीय टीम ने ‘बी’ ब्लड ग्रुप के रक्त की व्यवस्था करने का तय किया और 90 किलो मीटर दूर मध्यप्रदेश के खंडवा जाकर रक्त की बोतलें लाकर महिला की सुरक्षित डिलीवरी कराकर उसकी जान बचाई। अब जच्चा बच्चा दोनों सुरक्षित बताए जा रहे हैं। इस अस्पताल में ढोमणाढाणा गांव की निवासी सुषमा दहिकर को गर्भावस्था के दौरान दर्द कम होने की स्थिति में लाया गया।
जांच में उसका हीमोग्लोबिन 6.4 पाया गया। ऑपरेशन के दौरान खून चढ़ाना जरूरी था और परिजन मरीज को शिफ्ट करने के लिए राजी नहीं थे लेकिन मेडिकल टीम ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए खून का इंतजाम करने की ठानी। परामर्शदाता ममता सोमकर ने प्राइवेट अस्पतालों से भी खून के लिए मिन्नतें कीं लेकिन बात नहीं बनी। इसकी सूचना वैद्यकीय अधिकारी डॉ. तिलोत्तमा वानखड़े, डॉ. सोहम उघड़े को दी गई। जिसके बाद सबने 90 किलोमीटर दूर खंडवा जाकर खून लाने का तय किया। इसके लिए समुपदेशक फूलवंती कास्देकर, वाहनचालक गजू शनवारे व स्वास्थ्य सेवक सावन जावरकर की टीम रात 8 बजे जंगल और घाटों को पार करते हुए खंडवा पहुंची। खून की दो बोतलों के साथ वह अस्पताल पहुंचे और ऑपरेशन के लिए खून दिया। ऑपरेशन सफल रहा और महिला समेत नवजात की जान बचाई जा सकी। ऑपरेशन सर्जन डॉ. रेखा गजलवार, डॉ. हेमंत ठुसे व डॉ. सुनीता शेंद्रे ने मिलकर किया। रात एक बजे सुषमा का सिजेरियन शस्त्रक्रिया पूरी हुई और उसे दर्द से छुटकारा मिला। बच्चा सेहतमंद और चार किलो बजन का होने की जानकारी अस्पताल की ओर से दी गई है।
Created On :   7 March 2022 1:17 PM IST