- Home
- /
- वह स्टूडेंट अमेरिका में नहीं कर...
वह स्टूडेंट अमेरिका में नहीं कर सकेगी मेडिकल प्रैक्टिस

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने यूनाइटेंट स्टेट ऑफ अमेरिका(यूएसए) में रह रही एक छात्रा को भारत से एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद एमबीए की पढ़ाई के लिए केंद्र सरकार को नो आबजेक्शन टू रिटर्न टू इंडिया(एनओआरआई) प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ ने यह निर्देश अदिति वैष्णव नामक छात्रा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। खंडपीठ ने साफ किया है कि यदि छात्रा अमेरिका में मेडिकल प्रैक्टिस करती है तो उसके एनओआरआई प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया जाएगा और उसे वापस भारत आना पड़ेगा।
आदिती ने साल 2017 में भारत से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत खुद का डाक्टर के तौर पर पंजीयन कराया था। फिर वह अमेरिका चली गई। वहां उसे एक अस्पताल में इंटर्नशिप मिल गई। अदिति के माता-पिता यूएसए में बस गए हैं। उन्हें ग्रीन कार्ड भी मिल गया है। अब अदिति बिजनेस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहती हैं।इसके लिए वह एमबीए करना चहाती है। जिसकी प्रवेश प्रक्रिया जनवरी 2022 से शुरु होनेवाली है। याचिका के मुताबिक अतिदि पहले मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च स्कॉलर वीजा पर रिसर्च से जुड़ा काम करती थीं। जिसमें मरीजों से कोई संपर्क नहीं होता था। अब वे रिसर्च से जुड़ा काम भी नहीं करती है। इस दौरान अदिति को भी ग्रीनकार्ड के लिए आवेदन करने की सलाह दी गई। लेकिन जब तक केंद्र सरकार उन्हें एनओआरआई प्रमाणपत्र नहीं देगी तब तक उसके ग्रीनकार्ड के लिए आवेदन नहीं हो सकता है। इसलिए अदिति ने केंद्र सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के पास एनओआरआई प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था, जिसे मंत्रालय ने खारिज कर दिया था।
देश से डाक्टरों का पलायन रोकने बना है नियम
नियमानुसार भारत से मेडिकल की डिग्री हासिल करनेवालों एनओआरआई प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगाई गई है। ऐसा भारत से डाक्टरों के पलायन को रोकने व डाक्टरों की कमी को कम करने के लिए किया गया है। अदिति की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वाईएस जहांगीरदार ने कहा कि मेरी मुवक्किल मेडिकल से जुड़ा काम नहीं कर रही है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने अपने एक पुराने फैसले में एक छात्रा को राहत दी थी जिसमें मेडिकल प्रैक्टिस न करने की बात कही थी। चूंकि मेरी मुवक्किल अब मेडिकल प्रैक्टिस नहीं करेंगी। इसलिए उन्हेंएनओआरआई प्रमाणपत्र जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि मेरी मुवक्किल की बहन को भी यह प्रमाणपत्र जारी किया गया है। केंद्र सरकार के वकील ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि एनओआरआई प्रमाणपत्र की आवश्यकता को लेकर याचिका में खुलासा नहीं किया है। इसलिए याचिकाकर्ता को राहत न दी जाए। किंतु खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को एनओआरआई प्रमाणपत्र न देने के केंद्र सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेश को रद्द कर दिया और छात्रा को चार सप्ताह के भीतर एनओआरआई प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया।
Created On :   2 Oct 2021 8:30 PM IST