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NMC का अजब कारोबार , खाली प्लाॅट वाले को मकान और मकान वाले को खाली प्लाॅट का लगाया टैक्स

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संपत्ति कर मूल्यांकन पर विवाद कोई नई बात नहीं है। अब इस विवाद में कुछ नई चीजें और जुड़ गई हैं। संपत्ति कर निर्धारण के लिए जिस प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, वह नहीं की जा रही है। जिस वजह से संपत्ति कर धारकों को अनाप-शनाप बिल आ रहे हैं। कर दाताओं को बिना नोटिस दिए कर मूल्यांकन का आरोप लग रहा है। बिना मौका मुआयना ही कर निर्धारण हो रहा है। खाली प्लाॅट वाले को मकान और मकान वाले को खाली प्लाॅट का बिल थमा दिया गया है। यही कारण है कि मनपा की ‘अभय योजना’ में बकाएदारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। मनपा ने ब्याज भी माफ कर दिया। इसके बावजूद कर धारक इस योजना का लाभ लेने के लिए बड़ी संख्या में आगे नहीं आए।
जानें- किस तरह की जा रही गड़बड़ी
मनपा अधिनियम प्रकरण 8(ड) अनुसार, किसी भी संपत्ति का कर मूल्यांकन करने के पहले कराधन नियम 8 का नोटिस संपत्ति धारक को और उसमें निवास करने वाले अन्य सभी को देना आवश्यक है। लेकिन 2015 से इसका निरंतर उल्लंघन हो रहा है। ऐसे में जितने कर मूल्यांकन किए गए हैं, वे नियम के बाहर बताए जा रहे हैं।
राजस्व निरीक्षक की ओर से जिन संपत्तियों का मूल्यांकन करना है, उनका मौका निरीक्षण तथा 8 का नोटिस देना जरूरी है। इसका बार-बार जानबूझकर उल्लंघन किया जा रहा है।
अनेक संपत्तियों का निरीक्षण नहीं होने से गलत तरीके से क्षेत्रफल दर्शाकर निर्धारण किया गया। जैसे खुले प्लॉट पर मकान दिखाय गया। कई जगह पर मकान होते हुए भी खुला प्लाॅट दिखाया गया। चैरिटेबल संस्थाओं को मिलने वाली सामान्य कर और शिक्षण कर छूट को नजरअंदाज किया गया।
शहर के अधिकांश यूनिट में एज फैक्टर में ‘बी’ श्रेणी अर्थात 95 पैसे निर्धारण किया गया। जबकि ये 80-80 वर्ष से भी पहले बनाए गए हैं। इतवारी क्षेत्र में कुछ मकान एक मंजिल में होने के बावजूद उन्हें अलग-अलग दिखाया गया। जिनका अलग-अलग निर्माण कार्य है, उन्हें एक दिखाया गया। करदाताओं को गुमराह कर कहा गया कि आपके संपूर्ण निर्माण कार्य पर 20 प्रतिशत की छूट देंगे तथा पुराने प्रभाव से नहीं लगाएंगे। हालांकि नियम अनुसार यह छूट देना ही है, लेकिन करदाताओं को गुमराह कर छूट के नाम पर पैसे लेकर उनको ठगा गया।
इसे लेकर कई करदाताओं ने अनियमितता के कारण तथा पारदर्शिता न होने के कारण मनपा में लिखित शिकायत की है। तय अवधि में शिकायतों पर निर्णय नहीं होने से दिक्कतें बढ़ गई हैं।
Created On :   15 Feb 2021 10:01 AM IST