50 वर्षों से बिना किराया दिए चल रहा बैंक, सख्ती के बाद 22 हजार रुपए देने हुआ तैयार

The bank running without rent for 50 years, will now pay rent
50 वर्षों से बिना किराया दिए चल रहा बैंक, सख्ती के बाद 22 हजार रुपए देने हुआ तैयार
50 वर्षों से बिना किराया दिए चल रहा बैंक, सख्ती के बाद 22 हजार रुपए देने हुआ तैयार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद की पुरानी इमारत में 50 वर्ष से बिना किराया दिए चल रहा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक अब प्रति माह 22 हजार रुपए किराया का भुगतान करेगा। बैंक में खर्च होने वाली बिजली का बिल भी भुगतान किया जाएगा। निर्माण कार्य समिति के सख्त रवैया अपनाने से बैंक ने किराया भुगतान करने की हामी भरी है। यह जानकारी सूत्रों ने दी है।

50 वर्ष पूर्व दिया गया था एक कमरा
जिला परिषद कर्मचारियों की सुविधा की दृष्टि से 50 वर्ष पूर्व जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक को पुरानी इमारत में 85 वर्ग मीटर का एक कमरा दिया गया था। इसका किराया लिए बिना देखभाल दुरुस्ती खर्च और बिजली बिल का भुगतान भी जिला परिषद कर रही थी। मई 2018 से बैंक में बिजली आपूर्ति खंडित हो गई। बैंक ने जिला परिषद के निर्माण कार्य विभाग को मरम्मत करने का पत्र दिया। बैंक का पत्र मिलने पर निर्माण कार्य विभाग चौंक गया। विभाग द्वारा जांच-पड़ताल करने पर बैंक से फूटी कौड़ी किराया नहीं मिलने का राज उजागर हुआ।

बैंक को किराए का पत्र दिया
बिजली खंडित होने पर बैंक ने निर्माण कार्य विभाग को मरम्मत के लिए पत्र भेजा, तो निर्माण कार्य विभाग ने मना कर दिया। बल्कि प्रतिमाह 35 हजार रुपए किराया देने का पत्र दिया। बैंक ने किराया देने में असमर्थता व्यक्त की। जिलाधिकारी से हस्तक्षेप कर समस्या का निपटारा करने का आग्रह किया गया। तत्कालीन जिलाधिकारी ने बैंक की खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर जिला परिषद को सहयोग करने की सलाह दी, परंतु जिला परिषद निर्माण कार्य समिति सभापति शरद डोनेकर अपनी भूमिका पर अड़े रहे। उन्होंने निर्माण कार्य समिति में प्रस्ताव रख किराया वसूलने का प्रस्ताव पारित किया। किराया वसूली के लिए बैंक के कमरे का नाप-जोख किया गया। 85 वर्ग मीटर निर्माण कार्य के लिए 35 हजार रुपए किराया तय कर बैंक को पत्र दिया गया। 

खुलासा होने पर निर्णय
वर्ष 1967 से जिला परिषद की इमारत में चल रहा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक अब जिला परिषद को प्रतिमाह 22 हजार रुपए किराया भुगतान करेगा। 50 वर्ष से बैंक चलाया जा रहा है, लेकिन फूटी कौड़ी किराया नहीं दिया जा रहा था। इस बात का खुलासा होने के बाद िनर्माण कार्य िवभाग के सख्त रवैया अपनाने पर आखिरकार बैंक ने किराया भुगतान करने के लिए तैयार होने की जानकारी मिली है।
 

Created On :   1 April 2019 11:39 AM IST

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