मां को देखते ही रोने लगते हैं बच्चे, और वह उन्हें गले से लगाने के लिए तड़प रही

The children start crying on seeing the mother, and she is yearning to hug them.
मां को देखते ही रोने लगते हैं बच्चे, और वह उन्हें गले से लगाने के लिए तड़प रही
अनोखी दास्तां मां को देखते ही रोने लगते हैं बच्चे, और वह उन्हें गले से लगाने के लिए तड़प रही

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  घरेलू कलह कई बार इतना बड़ा रूप ले लेती है कि बसा-बसाया घर बुरी तरह से टूट जाते हैं। इसका असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ता है। कुछ इसी तरह का एक मामला महानगर पालिका के स्व. अनुसुयाबाई काले महिला समुपदेशन केंद्र के ऐश्वर्य बहुउद्देशीय संस्था में आया है, जिसमें 6 वर्षीय बेटी और 8 वर्षीय बेटा मारपीट की डर से मां के पास जाने के बजाय देखते ही रोने लगते हैं। वे मां के पास नहीं जाना चाहते हैं, बल्कि मां से दूर भागते हैं। दूसरी तरफ मां बच्चों के लिए तड़पती रहती है। 

बच्चों को याद कर परेशान रहती है मां
समुपदेशन केंद्र में किरण (बदला हुआ नाम) की मां ने उसके ससुराल पक्ष वालों की शिकायत दर्ज कराई है।  किरण की मां का कहना है कि किरण बच्चों को पास न पाकर दु:खी है। वह पूरे समय बच्चों की याद करती है। मामले को लेकर किरण के पति को बच्चों के साथ समुपदेशन केंद्र बुलाया गया। उस वक्त किरण की 6 वर्षीय बेटी और 8 वर्षीय बेटा भी आए थे। जैसे ही बच्चों ने मां को देखा, वो मां को देखते ही राेने लगे। मां बच्चों के करीब जा रही थी और बच्चे मां से दूर भाग रहे थे। किरण के पति का कहना है कि किरण की मानसिक हालत ठीक नहीं है। कभी-कभी गुस्सा और आपा खोकर बच्चों का मार देती थी, जिससे बच्चे उससे डरने लगे हैं। इसके लिए किरण को इलाज के लिए भी कहा, लेकिन वो इलाज नहीं करवाना चाहती है, इसलिए उसके मायके भेज दिया गया। बच्चे मां को देखते ही डर जाते हैं। 

कुछ याद नहीं रहता
किरण का मायके में रहकर ही इलाज करवाया जा रहा है। जब किरण से इस बारे में पूछा गया, तो उसका कहना है कि उसे कुछ याद नहीं है। उसे तो बस उसके बच्चे चाहिए। पता नहीं बच्चे उसके पास क्यों नहीं आना चाहते हैं। किरण की मां ने कहा कि उसका उपचार चल रहा है। किरण दवाइयां भी ले रही हैं, लेकिन वो बच्चों को बहुत याद करती है। उसका कहना है कि बच्चे ही उसकी दुनिया हैं। 

स्वास्थ्य में धीरे-धीरे हो रहा है सुधार
किरण की मानसिक हालत ठीक नहीं है। वो जो कुछ करती है, उसे याद नहीं रहता है। मायके में उसका इलाज चल रहा है। किरण की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। हमारा प्रयास है कि जल्द ही किरण अपने बच्चों के साथ हंसी-खुशी रहे और उसका परिवार एक हो जाए।  मनीषा पलीकुंडवार, काउंसलर

Created On :   21 Nov 2021 5:55 PM IST

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