'संवेदनशील मामलों में फैसला सुरक्षित होने के बाद भी किसी भी गवाह को बुला सकती है कोर्ट'

The court can call any witnesses even after the decision is secured
'संवेदनशील मामलों में फैसला सुरक्षित होने के बाद भी किसी भी गवाह को बुला सकती है कोर्ट'
'संवेदनशील मामलों में फैसला सुरक्षित होने के बाद भी किसी भी गवाह को बुला सकती है कोर्ट'

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। एक अहम फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा है कि किसी भी आपराधिक मामले में एक बार फैसला सुरक्षित होने के बाद भी संबंधित कोर्ट किसी भी गवाह को बुला सकता है। महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अत्याचारों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने अपने फैसले में कहा- "संवेदनशील मामलों में दंप्रसं की धारा 311 की आड़ में कोर्ट के क्षेत्राधिकार सीमित नहीं हो जाते। यदि किसी कारणवश अभियोजन पक्ष किसी गवाह को पेश नहीं कर पाया तो फैसला सुरक्षित होने के बाद भी कोर्ट उन्हें फिर से बुला सकती है।" इस मत के साथ बेंच ने ग्वालियर बेंच द्वारा फैसला सुरक्षित होने के बाद गवाह को बुलाए जाने को अनुचित करार देने वाला फैसला पलट दिया। 

क्या था मामला 
दमोह जिले के कुम्हरी पुलिस थानांतर्गत ग्राम पटना में रहने वाले खूब सिंह यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 363, 201 और पाक्सो एक्ट की धारा 4,5 के तहत मामला दर्ज हुआ था। पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान पर विचारण के बाद निचली अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उसके बाद अभियोजन पक्ष ने कुछ अतिरिक्त गवाहों को बुलाने एक अर्जी कोर्ट में दायर की, जो 6 अक्टूबर 2017 को मंजूर कर ली गई। निचली अदालत के इसी आदेश को चुनौती देकर यह याचिका दायर की गई थी।

सिंगल बेंच ने भेजा था प्रकरण
यह मामला काफी संवेदनशील था। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने वर्ष 2015 में इमरत सिंह के केस में अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि आदेश सुरक्षित होने के बाद कोर्ट किसी भी गवाह को नहीं बुला सकती। ग्वालियर बेंच के इस आदेश को दंप्रसं की धारा 311 के तहत विधि सम्मत न पाते हुए जस्टिस एसके पालो की सिंगल बेंच ने 3 जनवरी 2018 को फिर से विचार करने यह मामला लार्जर बेंच को भेजा था। 

सच्चाई जानना बहुत जरूरी
अपने 21 पृष्ठीय फैसले में बेंच ने कहा- "किसी भी आपराधिक मामले में सच्चाई का पता लगाने यदि कोर्ट किसी गवाह को बुला रही है तो उसे अनुचित नहीं ठहाराया जा सकता। यदि गवाह आएगा तो उसका प्रति परीक्षण करने का मौका आरोपी के पास ही होगा। अभियोजन पक्ष की खामी को न्याय की हार का कारण नहीं बनने दिया जा सकता।" इस मत के साथ बेंच ने मामला फिर से विचारण के लिए सिंगल बेंच के समक्ष भेज दिया। 

Created On :   9 March 2018 12:04 AM IST

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