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तीसरे बच्चे के कारण सरपंच की बर्खास्तगी को कोर्ट ने सही माना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण की दृष्टि से लाए गए नियम में स्पष्ट है कि 12 सितंबर 2009 के बाद तीसरे बच्चे को जन्म देने वाले दंपति को पंचायत सदस्य बनने के लिए अपात्र माना जाएगा। यदि उक्त कट-ऑफ तारीख के बाद किसी दंपति के यहां तीसरे बच्चे का जन्म होता है और उस बच्चे की मृत्यु हो जाती है, तो भी ऐसे व्यक्ति अपात्र ही माने जाएंगे। केवल दो ही बच्चे जीवित हैं, इस आधार पर उनकी सदस्यता कायम नहीं रखी जा सकती। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने अमरावती जिले के वाढोणा रामनाथ गांव की सरपंच सविता तिरमारे की याचिका खारिज कर दी है।
यह है पूरा मामला : याचिकाकर्ता जनवरी 2021 में वाढोणा रामनाथ गांव की सरपंच चुनी गई थी। उनके प्रतिद्वंद्वियों ने अमरावती जिलाधिकारी से शिकायत कर दी थी कि याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2002 में तीसरे बच्चे को जन्म दिया था। ऐसे में महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम 14 (1)(जे-1) व 16 (2) के तहत उन्हें पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए। अपने बचाव में याचिकाकर्ता की दलील थी कि उनके तीसरे बच्चे की मृत्यु 5 दिसंबर 2017 को हुई थी। चुनाव के लिए नामांकन भरते वक्त उनकी केवल दो ही जीवित संतानें थीं, ऐसे में उन्हें पद के लिए अपात्र नहीं ठहराया जाना चाहिए। अतिरिक्त जिलाधिकारी ने मामले में सभी पक्षों को सुनकर याचिकाकर्ता को अपात्र करार दिया, विभागीय आयुक्त ने भी इस आदेश को कायम रखा। ऐसे में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ याचिका खारिज की है।
Created On :   24 May 2022 6:12 PM IST