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राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में समान प्रश्नपत्र को लेकर फैसला ले उच्च शिक्षा निदेशक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से ली जानेवाली परीक्षाओं व प्रश्नपत्र में समरुपता लाने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर निर्णय लेने को कहा है। सोमवार को न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव व न्यायमूर्ति अभय अहूज की अवकाश पीठ के सामने इस मामले को लेकर दायर याचिका सुनवाई के लिए आयी।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता उदय वारुंजेकर ने खंडपीठ को राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में परीक्षा के आयोजन कि भिन्नता के बारे में जानकारी दी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम इस बारे में फिलहाल आदेश नहीं देंगे। क्योंकि इस विषय पर याचिकाकर्ता की ओर से पहले से एक निवेदन उच्च शिक्षा विभाग के पास प्रलंबित है। इसलिए पहले राज्य सरकार का उच्च शिक्षा विभाग इस बारे में निर्णय ले। इसके साथ ही खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को उच्च शिक्षा निदेशक के पास अतिरिक्त निवेदन देने की भी छूट दी है और याचिकाकर्ता के पक्ष को सुनकर इस बारे में 16 जून तक निर्णय लेने को कहा है। इस तरह खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया ।
याचिका में दावा किया गया था कि कही पर वर्णनात्मक प्रश्नपत्र के जरिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है तो कही पर वस्तुनिष्ठ (एमसीक्यूस) प्रश्नों से परीक्षा ली जा रही है तो कहीं पर ऑनलाइन परीक्षा भी ली जा रही है। विश्वविद्यालयों की ओर से परीक्षा लेने का अलग-अलग तरीका विद्यार्थियों के हित में नहीं है। इस विषय पर भूषण भसाल नाम के छात्र व अन्य ने याचिका दायर की थी। याचिका में परीक्षा के स्वरुप में समरुपता लाने के साथ ही परीक्षा परिणाम समय पर घोषित करने के निर्देश देने की भी मांग की गई थी। ताकि विद्यार्थी समय रहते आगे के पाठ्यक्रमों में समय रहते अपनी प्रवेश प्रक्रिया को पूरा कर सके।
Created On :   30 May 2022 7:34 PM IST